×

खरमास के दौरान क्यों बंद हो जाते हैं सभी मांगलिक कार्य, जानिए यहां

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: ज्योतिष अनुसार हर साल मार्गशीर्ष मास और पौष मास के मध्य खरमास लगता हैं इस दौरान सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं इसके साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाती हैं एक माह तक धनु में रहकर जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब खरमास का समापन हो जाता हैं खरमास के महीने को ज्योतिष में पूजा पाठ के लिए बेहद शुभ माना जाता हैं मगर इसमें किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों को करने की मनाही होती हैं तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।  

इस बार खरमास का महीना 14 दिसंबर से आरंभ होने जा रहा हैं और 14 जनवरी तक चलेगा। इसी के साथ शादी विवाह, सगाई, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, मुंडन आदि तमाम शुभ कार्यों पर भी रोक लग जाएगी। इसके अलावा नया घर या नया वाहन खरीदने जैसे काम भी नहीं किए जाएंगे।

जानिए खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा—
खरमास को लेकर प्रचलित कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते रहते हैं उन्हें कहीं पर भी रुकने की इज़ाजत नहीं हैं मगर जो घोड़ें उनके रथ में जुड़े होते हैं वे लगातार चलने व विश्राम न मिलने के कारण भूख प्यास से बहुत थक जाते हैं उनकी इस दयनीय दशा को देखकर एक बार सूर्यदेव का मन भी द्रवित हो गया। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गए। लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। 

मगर जब सूर्य देव घोड़ों को लेकर तालाब के पास पहुंचे तो देखा कि वहां दो खर मौजूद हैं भगवान सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिए वहां पर छोड़ दिया और खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लिया। घोड़ें के मुकाबले गधों को रथ खींचने में काफी जद्दोजहद करनी पड़ती हैं इस दौरान रथ की गति धीमी हो जाती हैं किसी तरह सूर्यदेव इस दौरान एक मास का चक्र पूरा करते हैं इस बीच घोड़ें भी विश्राम कर चुके होते हैं इसके बाद सूर्य का रथ फिर से अपनी गति में लौट आता हैं इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता हैं इसलिए हर साल खरमास लगता हैं।