हिंदू धर्म पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता हैं इस साल यह तिथि 9 मार्च दिन मंगलवार को पड़ रही हैं शास्त्रों में एकादशी तिथि का धार्मिक महत्व बताया गया हैं महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन और धर्मराज युधिष्ठिर को एकादशी व्रत के महात्माय के बारे में बताया था। युधिष्ठिर ने इस व्रत को विधि विधान के साथ किया था। कथाओं के अनुसार एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठतम होता हैं इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं और सभी इच्छाएं भी पूरी हो जाती हैं मान्यताओं के मुताबिक एकादशी व्रत करने से पूजा का तीन गुना अधिक फल प्राप्त होता हैं लंका विजया के लिए प्रभु श्रीराम ने भी विजया एकादशी को समुद्र किनारे पूजा की थी। तो आज हम आपको भगवान विष्णु की पूजन विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
विजया एकादशी के दिन ऐसे करें पूजा—
आपको बता दें कि एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए उसके बाद साफ वस्त्र धारण करें। एकादशी व्रत का संकल्प लें। घर के मंदिर में पूजा करने से पहले एक वेदी बनाकर उस पर सात धान रखें। वेदी के ऊपर एक कलश की स्थापना करें और उसमें आम या अशाक के पांच पत्ते लगाएं। अब वेदी पर श्री विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद भगवान को पीले पुष्प, ऋतुफल और तुलसी दल अर्पित करें। धूप दीपक से विष्णु जी की आरती करें। शाम के समय भगवान विष्णु की आरती उतारनें के बाद फलाहार ग्रहण करें। रात्रि के समय सोना नहीं चाहिए बल्कि भजन कीर्तन करते हुए जागरण करें। अगले दिन सुबह किसी गरीब को दान देकर विदा करें इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।