Vastu tips: घर के चारों कोनों में करवाएं ये निर्माण, कभी नहीं होगी आर्थिक तंगी
वास्तुविज्ञान में दिशाओं को विशेष महत्व दिया जाता हैं। किस दिशा में कौन सी चीज रखी जानी चाहिए इसको लेकर वास्तु शास्त्र में कई नियम बताए गए हैं इन नियमों की अनदेखी भारी पड़ सकती हैं
वास्तु अनुसार उत्तर पूर्व के मध्य स्थान की दिशा ईशान कोण कहलाती हैं गुरु इस दिशा के स्वामी हैं ईशान कोण जल और शिव का स्थान माना जाता हैं यहां पूजा घर, मटका, कुंआ, बोरिंग, वाटरटैंक आदि का स्थान बनाया जा सकता हैं। आग्नेय कोण पूर्व दक्षिण के मध्य स्थान को कहा जाता हैं शुक्र ग्रह को इस दिशा का स्वामी माना गया हैं आग्नेय कोण को आग और मंगल का स्थान माना जाता हैं यहां पर रसोई बनाना बहुत ही शुभ होता हैं।
पश्चिम और उत्तर के बीच की दिशा को वायव्य कोण कहा जाता हैं चंद्रदेव को इस दिशा के स्वामी माना गया हैं वायव्य कोण में वायु का स्थान होता हैं यहां खिड़की, रौशनदान आदि का निर्माण किया जा सकता हैं यहा पर मेहमानों के रहने का स्थान भी बनाया जा सकता हैं।