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महिलाएं ध्यान दें, आपके स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है आपका किचन, इसे बनाते समय रखें इन बातों को ध्यान में

 

जयपुर। किसी भी घर में किचन सबसे अहम भाग होता है, क्योंकी माना जाता है कि जैसा अन्न होता है वैसे ही विचार होते हैं। इस आधार पर किचन ही घर का वह हिस्सा है जहां पर पूरे परिवार की भूख मिटाने का सामान होता है। इसके साथ ही किसी भी घर की स्त्री का सर्वाधिक समय इस स्थान पर ही बीतता है। किचन की परिवार के सभी सदस्यों की सेहत से जुड़ा रहता है।

इस कारण से वास्तु में किचन के निर्माण के समय किसी भी प्रकार की छोटी छोटी गलती की जगह नहीं होती है। इसका निर्माण करते समय वास्तु के सभी नियमों को पूरी तरह से ध्यान में रखना जरुरी है। ऐसा करने से घर में कभी अन्न, धन और स्वास्थ्य की समस्या नहीं आती। आज हम इस लेख में किचन से जुडे वास्तु के सबसे खास नियमों के बारे में इस लेख में बता रहे हैं।

  • किचन बनाते समय सबसे पहले दिशा पर ध्यान दें घर की दक्षिण पूर्व दिशा में बना किचन सबसे सही माना जाता है क्योंकि इस दिशा के स्वामी अग्नि देव का वास यहां पर होता हैं, इसलिए किचन इसी दिशा में बनवाएं।

  • अगर जगह के अभाव में या अन्य कारण से किचन दक्षिण पूर्व दिशा नहीं बना पा रहे तो उत्तर-पश्चिम दिशा भी इसके लिए चुन सकते हैं क्योंकि किचन बनाने के लिए यह भी शुभ दिशा मानी जाती है।
  • वास्तु के अनुसार किचन के दक्षिण दिशा की ओर कभी भी कोई दरवाजा या खिडकी नहीं होना चाहिए। किचन में खिड़कियां या दरवाजे पूर्व दिशा की ओर में ही रखें।

  • किचन में रंगों की चुनाव घर की महिलाओं की कुंडली के आधार पर करें। अगर किचन दक्षिण-पूर्व दिशा में हैं तो दीवारों पर ऑरेंज व रैड कलर करें क्योंकि यह कलर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

किसी भी घर में किचन सबसे अहम माना जाता है, इसलिए वास्तु के अनुसार किचन बनाते समय सबसे शुभ दिशा घर की दक्षिण पूर्व दिशा को माना गया है, क्योंकि इस दिशा में अग्नि देव का वास होता हैं।