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शिव भक्तों को भोले की पूजा में नहींं करनी चाहिए ये गलतियां

 

भगवान शिव के कई नाम हैं। जिसमें से एक नाम भोलेनाथ भी हैं। भगवान शिव का भोले नाम इसलिए पड़ा क्योकि भगवान शिव जितनी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। उतनी ही जल्दी कोधित भी हो उठते हैं। शिवपुराण के मुताबिक भगवान शिव की आराधना करने से अकाल मृत्यु समेत कुंडली के कई तरह के दोषों का निवारण हो जाता हैं। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त शिवलिंग पर कई चीजें अर्पित करते हैं,मगर कई बार भूलवश ऐसी चीजें चढ़ा देते हैं,जिसे शास्त्रों में वर्जित माना गया हैं।

हिंदू धर्म में हर शुभ काम और पूाज-पाठ में शंख का प्रयोग शुभ माना गया हैं। मगर भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग वर्जित माना जाता हैं। वही हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को बहुत शुभ कहा जाता हैं। सभी तरह के शुभ कार्यो में तुलसी के पत्तों का प्रयोग किया जाता हैं। मगर तुलसी के पत्तों को शिवलिगं पर चढ़ाना मना हैं। दरअसल भगवान शिव ने तुलसी के असुर पति का वध कर दिया था। शिवलिगं पर तिल का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए।

भगवान शिव को अक्षत यानी की चावल अर्पित किए जाने के बारे में शास्त्रों में लिखा है। टूटा हुआ चावल अपूर्ण और अशुद्ध होता हैं। इ​सलिए यह शिवलिंग पर नहीं चढ़ता हैं। वही शिवलिंग पर भूलकर भी कभी सिंदूर या फिर कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए। कुमकुम सौभाग्य का प्रतीक माना जाता हैं। जबकि भगवान शिव वैरागी हैं। इस कारण शिव जी को कुमकुम नहीं चढ़ना चाहिए।

वही हल्दी का संबंध सौभाग्य से होता हैं,इसलिए यह भगवान शिव को नहीं चढ़ाया जाता हैं। शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। नारियल देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए इसे शिव जी को नहीं चढ़ते हैं।