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धन को कभी रोककर नहीं रखना चाहिए

 

आपको बता दें, कि हर व्यक्ति के जीवन में धन दौलत विशेष महत्व रखता हैं मनुष्य की जरूरतों और आवश्यकतों को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता होती हैं वही हर मनुष्य धन दौलत कमाने के लिए कठिन से कठिन प्रयास भी करता हैं, वही अगर आप चाहते हैं कि आपका धन बढ़ और आप सुख और प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीएं तो हमेशा ये दो बातें जरूर याद रखें क्योंकि जो इन्हें याद नहीं रख पाता हैं और अपने धन को बचाने की कोशिश करते रहते हैं उनका धन किसी ना किसी रूप में नाश हो ही जाता हैं और बाद में केवल पछताते रहना पड़ जाता हैं। वही आज हम आपको हिंदू धर्म शास्त्रों में धन दौलत को लेकर क्या कहा गया हैं इसके बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं।

वही एक श्लोक में भर्तहरि ने लिखा हैं, कि दानं भोगो नाशस्तिस्त्रो गतयो भवन्ति वित्तस्य। यो न ददाति न भुङ्क्ते तस्य तृतीया गतिर्भवति॥ इसका अर्थ हैं कि धन की तीन ही गति होती हैं यानी जो धन के साथ ये काम नहीं करते हैं उनके धन का नाश तय हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया हैं कि देवी मां लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता हैं वही एक स्थान पर कभी रुकर नहीं रहती हैं इसलिए इन्हें रोकर रखने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए। वही धन को नष्ट होने से बचाना हैं तो इसके लिए केवल दो ही तरीके हैं या तो आप धन का दान कर दें। यानी धन का लेन देने करें। जरुरतमंदो को दें। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो धन का सुख भोग में उपयोग करें।

वही जिन लोगो के पास ढ़ेर सारा धन होता हैं, मगर धन का उपभोग नहीं करते हैं। अपने धन को दान धर्म के कार्यो में खर्च नहीं करते हैं उनका धन तेजी से नष्ट होता चला जाता हैं इसलिए धन का सदुपयोग करना चाहिए इसे अपने पास रोकर नहीं रखना चाहिए।

धन की तीन ही गति होती हैं यानी जो धन के साथ ये काम नहीं करते हैं उनके धन का नाश तय हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया हैं कि देवी मां लक्ष्मी का स्वभाव चंचल होता हैं वही एक स्थान पर कभी रुकर नहीं रहती हैं इसलिए इन्हें रोकर रखने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए। वही धन को नष्ट होने से बचाना हैं तो इसके लिए केवल दो ही तरीके हैं या तो आप धन का दान कर दें। धन को कभी रोककर नहीं रखना चाहिए