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जानें फूलों से स्वागत किये जाने का खास वजह

 

फूल को वस्तुत: संस्कृत में पुष्प और अंग्रेजी में फ्लावर कहते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार फूल का उद्देश्य किसी पौधे की नई पीढ़ी को पैदा करना होता है। इसके लिए वे कीड़े, मकोड़े, तितलियों को आकर्षित करते हैं ताकि वे आएं और फिर उनके जरिए परागगण हो। परागगण यानी नर और मादा कणों का मेल होना होता है। इसके फलस्वरूप इनके विकास से फूल से फल और फल से बीज निकलते हैं। धरती पर फूलों की वजह से सुंदरता, खुशबू और खुशहाली है।

वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर पहला फूल करीब बीस करोड़ साल पहले उगा होगा। वर्तमान में फूलों की करीब साढ़े तीन लाख किस्में हैं जिसे इंसान जानता है। ज्यादा भी हो सकती है। आज फूलों के इतने रंग और रूप है कि इंसान की कल्पना से भी परे है।

फूलों का उपयोग: प्राचीन काल से ही भारत में फूलों का उपयोग पूजा के कार्यों में होता आ रहा है जैसे कि-अर्पित करना, सजा-सजावट और श्रृंगार करना।यहां तक महिलाएं भी अपने बालों में फूलों की गजरा बनाकर लगाती है। भारतभर में किसी भी विवाह आदि मंगल या मांगलिक कार्य में फूलों से घर, दुकान या मंडप, यज्ञ मंडप आदि को सजाने का प्रचलन भी प्राचीन काल से ही रहा है। प्रभु श्रीराम के अयोध्या आने के समय भी उनका पुष्प वर्षा कर और दीप जलाकर स्वागत किया गया था।

फूलों से स्वागत करने का मूल कारण: भरत में जब भी कोई विदेशी अतिथि आता है तो हम उसका फूल की मालाओं से स्वागत करते हैं। भारतीयों को देखकर ही विदेशों में गुलदस्ता देने का प्रचलन बनना चालू हुआ।फूलों से किसी का स्वागत करना उसके मान-सम्मान और व्यक्ति की आर्थिक क्षमता का प्रदर्शन करना होता हैं। इससे दोनों ही पक्ष सम्मानित होते हैं।

वास्तुशास्त्र में फूलों का महत्व : वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में बगीचा होना अनिवार्य है। फूल सुगंध और सौंदर्य के प्रतीक माने जातेहैं। घर के आगे गुड़हल, चांदनी, मीठा नीम, रातरानी, पारिजाद, मोगरा, वैजयंती, जूही, चंपा, चमेली, आदि सुगंधित फूल लगाने से हर तरह के वास्तु दोष दूर हो जाते हैं और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ाने एवं खुशहाली में सहयोग मिलता ह।