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घर की इस दिशा में स्थापित करें श्री गणेश की प्रतिमा, जाग जाएगी सोई किस्मत

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में श्री गणेश की पूजा को विशेष स्थान प्राप्त है मान्यता है कि किसी भी शुभ और मांगलिक कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करने पर वो कार्य ​निर्विघ्न पूरा होता है साथ ही भगवान गणेश के आशीर्वाद से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हाती है और उनके कष्टों का नाश होता है लेकिन वास्तु के अनुसार भगवान गणेश की कृपा हमारे ऊपर तभी बनी रहती है जब सही दिशा और सही जगह पर उन्हें स्थापित किया जाए, उन्हें घर में एक उचित स्थान पर विराजमान करना जरूरी है ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि का वास होता है

भगवान श्री गणेश जी को बुधवार का दिन समर्पित है इस दिन गणेश जी की पूजा करने और व्रत आदि करने से भक्तों पर जीवनभर गणेश जी की कृपा बनी रहती है अगर किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह कमजोर होता है तो उसे मजबूती मिलती है गणेश जी को बल, बुद्धि और वाणी का दाता माना जाता है गणेश जी की कृपा से जातक की सोई हुई किस्मत भी जाग जाती है वास्तु अनुसार गणेश जी की मूर्ति के लिए क्या नियम बताए गए है, वो आज हम आपको बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

श्री गणेश की मूर्ति स्थापित करने के नियम—
वास्तुशास्त्र में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना का खास महत्व दिया गया है वास्तु के अनुसार गणपति की मूर्ति घर में विराजमान करने से घर में खुशियां और सुख समृद्धिका वास होता है वास्तु अुनसार श्री गणेश की स्थापना के लिए घर की उत्तर पूर्व दिशा सबसे उत्तम होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ दिशा देवी देवताओं के लिए उचित नहीं होती है उस हिसाब से घर की दक्षिण दिशा में भूलकर भी गणपति की स्थापना न करें मान्यता है कि घर की दक्षिण दिशा यमराज की दिशा होती है साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि जहां गणेश जी को विराजमान करना है वहां कूड़ा कचरा या फिर टॉयलेट आदि नहीं होना चाहिए

श्री गणेश की मूर्ति साफ जगह पर रखें। अगर आप घर में श्री गणेश की मूर्ति विराजमान करना चाह रहे हैं तो इसके लिए घर में प्लास्टर आफ पेरिस की मूर्ति स्थापित करने की बजाय, धातु, गोबर या मिट्टी के गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें। घर में खड़े गणेश जी की जगह बैठे हुए श्री गणेश जी को स्थापित करें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।