चाणक्य नीति: चाणक्य ने बताई शत्रु और मित्र को लेकर ये बड़ी बातें
व्यक्ति ऐस सामाजिक प्राणी माना जाता हैं इसलिए उसके जीवन में हर तरह के रिश्ते और संबंध भी होते हैं वही हर व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी मित्र या फिर शत्रु जरूर बन जाते हैं। ये दोनो ही स्थितियां व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करने वाली मानी जाती हैं।
आपको बता दें,कि कामयाब होने के लिए मित्रों की जरूरत होती हैं मगर अधिक कायमयाबी पाने के लिए हमेशा ही शत्रुओं की अवश्यकता होती हैं। वही अपने शत्रु की दुर्बलता को जानने तक उसे अपना मित्र बनाएं रखें। दुष्ट की मित्रता से शत्रु की मित्रता अच्छी होती हैं। चाणक्य के मुताबिक दुराचारी, कुदृष्टि रखने वाले और बुरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति से भूलकर भी मित्रता नहीं करनी चाहिए।
वही आचार्य चाणकय ने शत्रु और मित्र की पहचान करने के लिए बताया हैं, कि जिस तरह चंदन का वृक्ष दुनिया में अपनी भीनी सुगंध और शीतलता के लिए जाना जाता हैं मगर उसी चंदन के वृक्ष पर संसार के सबसे विषैले सर्प भी निवास करते हैं उसी तरह बाहर से बहुत मीठा बोलने वाला व्यक्ति आपके लिए मित्र साबित हो जरूरी नहीं हैं। वही आपके लिए शत्रुता का भाव भी रख सकता हैं।