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सभी संकटों से मुक्ति दिलाने वाला है गणपति का ये स्तोत्र, जानिए इसके लाभ

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में श्री गणेश को प्रथम पूजनीय माना गया हैं इनकी पूजा का महोत्सव कल यानी 10 सितंबर दिन शुक्रवार से गणेश चतुर्थी के साथ आरंभ हो चुका हैं यह उत्सव 19 सितंबर दिन रविवार को अनंत चतुर्दशी तक रहेगा। हर साल गणपति के जन्मोत्सव के तौर पर इसे मनाया जाता हैं चतुर्थी के दिन श्री गणेश की प्रतिमा को लोग धूमधाम से अपने घर लेकर आते हैं और उनकी स्थापना करते हैं।

श्री गणेश को घर में 5, 7 या 9 दिनों तक बैठाने के बाद उनका विसर्जन कर दिया जाता हैं इस दौरान गणेश भगवान की सच्चे दिल से पूजा करो तो वो सारे संकटों को हरकर अपने साथ ले जाते हैं अगर आपके जीवन में भी कोई बड़ा संकट हैं आपके काम में बड़े विघ्न आ रहे हैं तो गणेश चतुर्थी के दिन संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ जरूर करें। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ, तो आइए जानते हैं।   

गणपति संकटनाशन स्तोत्र बहुत सिद्ध स्तोत्र हैं गणेश उत्सव गणपति की खास पूजन के दिन होते हैं ऐसे में इस स्तोत्र का पाठ शुरू करना बेहद पुण्यदायी माना जाता हैं आप गणेश उत्सव के दिनों से इसकी शुरुआत करके लगातार 40 दिनों तक इसका पाठ पूरी श्रद्धा के साथ करें। तो बड़े से बड़ा संकट टल जाता हैं पूजन के समय भगवान के समक्ष दूर्वा जरूर समर्पित करें मगर हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए मन में श्रद्धा का होना बहुत ही जरूरी हैं। 
संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ— 
 
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम्,

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये.

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम्,

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम्.

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च,

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम्.

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम्,

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन्.

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः,

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो.

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्,

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम्.

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते,

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः.

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते,

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः.