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Somvati amavasya 2021: पितृ श्राप से मुक्ति का दिन है सोमवती अमावस्या, जानिए महत्व

 

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों तिथियों को ​विशेष माना जाता हैं वही पितृ श्राप से मुक्ति और उनके आशीर्वाद प्राप्ति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण तिथि चैत्र अमावस्या 12 अप्रैल दिन सोमवार को पड़ रही हैं आश्विन मास के पितृपक्ष की तरह ही चैत्र कृष्ण पक्ष को भी श्राद्ध तर्पण के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं और चैत्र मास की अमावस्या को पितृ विसर्जन की ही तरह श्रेष्ठ फलदायी बताया गया हैं इस तिथि के दिन संयोगवश सोमवार हो तो यह अद्भुत पुण्य प्रदान करने वाली तिथि बन जाती हैं ज्योतिष गणना के मुताबिक आत्मा के स्वामी सूर्य और मन के स्वामी चंद्र जब एक ही राशि में आ जाते हैं तो अमावस्या होती हैं तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।

आपको बता दें कि इसी तिथि के दिन प्राणियों में सहज वैराग्य का भाग जागृत होता हैं क्योंकि मन और आत्मा के एकाकार होने से चित्त कुछ पलों के लिए निर्मल और एकाग्र हो जाता हैं तभी इन तिथियों को साधना के लिए श्रेष्ठ कहा गया हैं सूर्य और चंद्र के संयोग से ही पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों का निर्धारण होता हैं जब ये दोनों ग्रह भ्रमण करते हुए परस्पर 108 अंश पर तब पूर्णिमा होती हैं और एक साथ आ जाते हैं तो अमावस्या होती हैं। भगवान भोलेनाथ ने कृष्ण पक्ष से लेकर अमावस्या तक का अधिभार पितरों को और शुक्लपक्ष की प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक का अधिभार देवों को दिया हैं इसलिए पितृ से संबंधित सभी श्राद्ध तर्पण आदि कार्य अमावस्या तक और सकाम अनुष्ठान अथवा बड़े यज्ञ आदि कार्य शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तक के मध्य किए जाते हैं इन सभी युतियों में आश्विन अमावस्या और चैत्रकी अमावस्या में सूर्य और चंद्र का मिलन श्रेष्ठ माना गया हैं।