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Shardiya navratri 2020: मां कालरात्रि को क्यों पुकारते हैं शुभकारी, जानिए यहां

 

आज यानी 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को नवरात्रि का सातवां दिन हैं आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा आराधना की जाती हैं इस दिन देवी मां के कालरात्रि स्वरूप की पूजा करने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। शास्त्रों के मुताबिक मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता हैं मान्यता है कि मां का स्वरूप जितना विकराल हैं उतना ही मां का स्वभाव दयालु हैं मां कालरात्रि भक्तों पर हमेशा अपना आशीर्वाद बनाए रखती हैं और शुभ फल देती हैं यही कारण है कि देवी मां का एक नाम शुभकरी भी पड़ा। तो आज हम आपको देवी मां के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं। मां कालरात्रि को काली, महाकाली, भद्रकाली रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री, धुमोरना, भैरवी और मिृत्यू आदि नामों से जाना जाता हैं। एक कथा के मुताबिक एक बड़ा दानव रक्तबीज था। दैत्य रक्तबीज ने जनमानस के साथ देवताओं को भी पेरशान कर रखा था। रक्तबीज दानव की विशेषता यह थी कि जब उसके खून की बूंद धरती पर गिरती थी। तो हूबहू उसके जैसा एक और दानव बन जाता था। एक दिन इस दैत्य की शिकायत लेकर सभी शिव के पास गए। शिव यह बात जानते थे कि रक्तबीज का अंत मां पार्वती ही कर सकती हैं।
शिव ने माता से दैत्य के विनाश करने का अनुरोध किया। इसके बाद मां पार्वती ने स्वंय शक्ति साधना किया। इस तेज ने मां पार्वती ने मां कालरात्रि का रूप धारण किया। इसके बाद जब मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का अंत किया और उसके शरीर से निकलने वाली रक्त को मां कालरात्रि ने जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह से देवी मां ने सबका गला काटते हुए दानव रक्तबीज का अंत किया। रक्तबीज का वध करने वाली मां पार्वती का यह रूप कालरात्रि बना।