"Sawan Special" मां पार्वती और भोलेनाथ के रिश्ते से हर पति पत्नी को सीखनी चाहिए ये 4 बातें, आपस में बना रहता है प्रेम
सावन का पवित्र महीना चल रहा है। इस महीने में भगवान महादेव की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि अगर कोई कन्या सावन में व्रत रखती है, तो उसे अच्छा पति मिलता है। साथ ही, विवाहित लोगों का रिश्ता सुखी होता है। ऐसा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आपको बता दें कि देवी पार्वती को एक आदर्श पत्नी के रूप में पूजा जाता है।
उनका जीवन प्रेम, समर्पण, धैर्य और त्याग का प्रतीक माना जाता है। शिव-पार्वती का रिश्ता न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि एक मजबूत वैवाहिक रिश्ते की भी मिसाल है। देवी पार्वती का अपने पति भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम, सेवा और सम्मान आज भी महिलाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। आजकल रिश्ते लंबे समय तक नहीं टिकते। झगड़े रिश्ते टूटने का कारण बनते हैं। हालाँकि, इसके पीछे पति और पत्नी दोनों ही जिम्मेदार हैं। आइए पत्नियों के बारे में बात करते हैं।
माता पार्वती ने की थी कठोर तपस्या
आपको बता दें कि देवी पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि एक सच्चा रिश्ता केवल बाहरी सुंदरता पर ही नहीं, बल्कि आंतरिक गुणों और समर्पण पर भी आधारित होता है। उन्होंने हर परिस्थिति में अपने पति का साथ दिया। अगर आप भी अपने रिश्ते को बेहतर बनाना चाहती हैं, तो आपको देवी पार्वती से एक अच्छी पत्नी होने के गुण ज़रूर सीखने चाहिए। आज हम आपको एक अच्छी पत्नी होने के गुणों के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए विस्तार से जानें-
माता पार्वती से एक अच्छी पत्नी होने के गुण
- माता पार्वती सिर्फ़ एक पत्नी ही नहीं थीं, उन्होंने हर परिस्थिति में भगवान शिव का साथ दिया। साथ ही, माता पार्वती भगवान शिव की सखी बनकर उनका मार्गदर्शन भी करती थीं।
- माता पार्वती का भगवान शिव के प्रति प्रेम अटूट था। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कई जन्म लिए। वहीं, पार्वती के रूप में माता ने हज़ारों वर्षों तक तपस्या की थी। इससे हमें यह सीख मिलती है कि एक रिश्ते में त्याग और प्रेम बहुत ज़रूरी है।
- एक रिश्ते में धैर्य भी बहुत ज़रूरी है। माता पार्वती ने विवाह के बाद भी अपना धैर्य नहीं खोया। आप सभी ने पढ़ा होगा कि भगवान शिव सदैव ध्यान में लीन रहते थे। ऐसे में माता धैर्यपूर्वक उनकी प्रतीक्षा करती थीं।
- माता ने महादेव का कभी तिरस्कार नहीं किया। सती के रूप में माता ने भगवान शिव के अपमान का बदला लेने के लिए आत्मदाह कर लिया था। एक पत्नी को हमेशा अपने पति का सम्मान करना चाहिए।
- भगवान शिव अन्य देवताओं से भिन्न थे। वे भस्म धारण करते थे, शरीर पर साँप लपेटे रहते थे और श्मशान में रहते थे, लेकिन माता पार्वती ने उन्हें वैसे ही स्वीकार किया जैसे वे थे। इससे हमें सीख मिलती है कि पति को बदलने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। वे जैसे हैं, उनके साथ वैसे ही रहना चाहिए।