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Pradosh vrat: भगवान शिव को समर्पित प्रदोष व्रत कल, जानिए इस दिन का महत्व

 

हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों को विशेष महत्व दिया जाता हैं वही अप्रैल महीने का पहला प्रदोष व्रत कल यानी 9 अप्रैल दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। इस व्रत को प्रदोषम भी कहते हैं यह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता हैं ये व्रत भगवान शिव को समर्पित होता हैं इ व्रत को करने से भोलेनाथ की कृपा भक्तों को प्राप्त होती हैं। शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसी शुक्र प्रदोष व्रत भी कहा जा रहा हैं। प्रदोष काल सूर्यास्त से ही शुरू हो जाता हैं इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा तब की जाती हैं जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ साथ होते हैं तो आज हम आपको प्रदोष व्रत के महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।

जानिए प्रदोष व्रत का महत्व—
आपको बता दें कि प्रदोष व्रत करने से जातक के सभी दोषों का निवारण हो जाता हैं व्रत को विधि विधान के साथ करने पर शिव जी अपने भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं और उन पर अपनी कृपा हमेशा बनाए रखते हैं इस तिथि पर केवल भगवान शिव की ही नहीं ​बल्कि चंद्रदेव की भी पूजा की जाती हैं पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहला प्रदोष व्रत चंद्रदेव ने ही किया था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और चंद्र देव को क्षय रोगों से मुक्त किया था यह व्रत बहुत ही प्रभावशाली माना जाता हैं इस व्रत को करने से जीवन के सभी कष्ट और परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख शांति व समृद्धि हमेशा बनी रहती हैं।

ये है प्रदोष व्रत का मुहूर्त—
चैत्र मास, कृष्ण पक्ष, त्रयोदशी तिथि
त्रयोदशी तिथि आरंभ— 9 अप्रैल 2021, शुक्रवार, सुबह 3 बजकर 15 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त— 10 अप्रैल 2021, शनिवार, सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर