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Paush purnima 2021: पौष पूर्णिमा पर क्यों होती हैं मां दुर्गा के शाकंभरी रूप की पूजा, जानिए यहां

 

हिंदू धर्म शास्त्रों में पौष पूर्णिमा का विशेष महत्व होता हैं पौष मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पौष पूर्णिमा कहा जाता हैं इस बार पौष पूर्णिमा 28 जनवरी दिन गुरुवार यानी की आज मनाई जा रही हैं इस दिन दान, जाप और तप का विशेष महत्व बताया गया हैं इस साल पूर्णिमा पर गुरु पुष्य योग बनने पर इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता हैं पौष पूर्णिमा को शांकभरी पूर्णिमा के नाम से जाना जाता हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्यों होती है मां दुर्गा के शाकंभरी रूप की पूजा, तो आइए जानते हैं।

पौष मास की पूर्णिमा के दिन ही मां दुर्गा ने अपने भक्तों के कल्याण के लिए माता शांकभरी का अवतार लिया था। शास्त्र के मुताबिक इस दिन मां दुर्गा ने पृथ्वी पर अकाल और गंभरी खाद्य संकट से भक्तों को निजात दिलाने के लिए शांकभरी का रूप लिया था। इसलिए इन्हें सब्जियों और फलों की देवी माना जाता है इसलिए इस पूर्णिमा को शांकभरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं पौष पूर्णिमा के दिन मां दुर्गा की आराधना का विधान होता हैं छत्तीसगढ़ के आदिवासी इस दिन को छेरता पूर्व मनाते हैं। ऐसी मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को अन्न, शाक, फल व जल का दान देने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं मां दुर्गा की कृपा से इच्छाएं पूरी हो जाती हैं।

पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक एक समय जब पृथ्वी पर दुर्गम नामक दैत्य ने आतंक का माहौल पैदा किया। इस तरह करीब सौ साल तक वर्षा न होने के कारण अन्न जल के अभाव में भयंकर सूखा पड़ा जिससे लोग मर रहे थे। जीवन समाप्त हो रहा था। उस दैत्य ने ब्रह्माजी से चारों वेद चुरा लिए थे। तब आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप मां शाकंभरी देवी में अवतरित हुआ। जिनके सौ नेत्र थे। उन्होंने रोना शुरू किया, रोने पर आंसू निकले और इस तरह पूरी धरती में जल का प्रवाह हो गया। अंत में मां शाकंभरी दुर्गम दैत्य का अंत कर दिया।