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रामचरित मानस के अनुसार जानिए सपनों का अर्थ

 

अधिकतर लोग सोते वक्त सपने देखते हैं और सपने देखना एक सामान्य सी बात हैं। सपनों द्वारा भविष्य जानने की विद्या प्राचीन काल से चली आ रही हैं लोग सपनों से भविष्य में होने वाली घटनाओं का अंदाजा लगाते थे। इसलिए रामचरित मानस में कई ऐसे प्रसंग आए हैं जब रामायण के पात्रों ने सपने देखे और उन सपनों का फल जल्दी ही लोगों के सामने आया। एक प्रसंग में जिक्र मिलता हैं कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान सपना देखते हैं कि दशरथ जी आकाश मार्ग से दक्षिण दिशा की ओर जा रहे हैं प्रभु श्री राम इस सपने से बहुत ही परेशान हो जाते हैं कि कहीं उनके पिता के साथ कुछ बुरा तो नहीं हुआ हैं। कुछ ही दिनों बाद उन्हें संदेश मिलता हैं कि पुत्र शोक में दशरथ जी की मृत्यु हो गई हैं इस सपने के द्वारा रामचरित मानस में बताया गया हैं। दक्षिण दिशा की ओर यात्रा देखना मृत्यु सूचक हैं। रामचरित मानस में जिक्र आया हैं कि जब दशरथ जी की मृत्यु हुई उन दिनों भरत शत्रुघ्न अपने मामा के घर गए थे।

दशरथ जी की मृत्यु और श्री राम के वन जाने की घटना का संकेत उन्हें सपने में मिल रहा था। इस घटना का जिक्र करते हुए रामचरित मानस में लिखा हैं अनुरथ अवध अरंभ जब तें, कुसगुन होहिं भरत कहुं तब ते ।। देखहिंत राति भयानक सपना। जागि करहिं केटु कोटि कलपना।। बिप्र जेइ देहिं दितन दाना।। सित अभिनषेक करहिं बिखधि नाना।। भरत जी शत्रुघ्न से कहते हैं किर उन्हें बुरे सपने आ रहे हैं सपनों बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए करते हुए रामचरित मानस में लिखा गया हैं देवी सीता एक अशुभ सपना देखती हैं और भगवान राम से कहती हैं ‘उहॉं रामु रजनी अवसेषा। जागे सीयॅं सपन अस देखा।। सहति समाज भरत जनु आए। नाथ बिमयोग ताप तन ताए।। सकल मलिसन मन दीन दुखारी। देखीं सासु आन अनुहारी।। सुनि सिुय सपन भरे जल लोचन। देखीं सासु आन अनुहारी।। सनिं सिवय सपन भरे जल लोचन। भए सोचबस सोच बिंमोचन।। लखन सपन यह नीक न होई। कठनि कुचाह सुनाइहिन कोई।। सीता जी कहती हैं उन्होंने माताओं को उदास देखा हैं और भरत के साथ मिलने आए हैं। भगवान राम लक्ष्मण से कहते हैं देवी सीता का सपना कुछ अशुभ का संकेत हैं। सपने का फल कुछ दिनो में सामने भी आता हैं जब भरत जी के साथ सभी माताएं प्रभु राम से मिलने वन में आते हैं इस सपने के मुताबिक विधवा वेष और चेहरे पर उदासी देखना अशुभ फल का सूचक हैं।

सपनों द्वारा भविष्य जानने की विद्या प्राचीन काल से चली आ रही हैं लोग सपनों से भविष्य में होने वाली घटनाओं का अंदाजा लगाते थे। इसलिए रामचरित मानस में कई ऐसे प्रसंग आए हैं जब रामायण के पात्रों ने सपने देखे और उन सपनों का फल जल्दी ही लोगों के सामने आया। एक प्रसंग में जिक्र मिलता हैं कि भगवान श्रीराम अपने वनवास के दौरान सपना देखते हैं रामचरित मानस के अनुसार जानिए सपनों का अर्थ