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मनचाहा जीवनसाथी पाने का खास मंत्र

 

हिंदू धर्म में श्रीरामचरितमानस के दोहों और चौपाइयों का मंत्र के रूप में प्रयोग बहुत ही पहले से किया जाता रहा हैं वही ऐसी भी मान्यता हैं कि इस ग्रंथ में जो दोहे या चौपाई जिस प्रसंग में लिखे गए हैं,उससे मिलती जुलती परिस्थिति पैदा होने पर उन पंक्तियों के ध्यान स्मरण या फिर जाप से साधकों का कल्याण हो सकता हैं। वही मानस में मनचाहा जीवनसाथी पाने का भी बहुत ही सुंदर प्रसंग हैं उन चौपाइयों का मंत्र के रूप से पूरी आस्था के साथ ध्यान व जाप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती हैं मगर इतना जरूर हैं कि कामना सच्ची और पवित्र होनी चाहिए। वह तभी सफल और फलदायी होती हैं, वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं मंत्र के प्रकार तो आइए जानते हैं।

तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी।।
जेहि कें जेहि पर सत्‍य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।

प्रसंग बालकांड का हैं, राजा जनकजी प्रतिज्ञा करते हैं कि वे अपनी पुत्री सीता जी का विवाह उससे करेंगे जो शिव के भारी धनुष को उठाकर तोड़ दे। सीताजी का मन श्री राम के प्रति आकर्षित हो चुका था। वे चाहती थी कि उनके पिता की प्रतिज्ञा बेकार न जाए। साथ ही उनका विवाह तेजस्वी व हर तरह से श्रेष्ठ राजकुमार श्री राम से ही हो, मगर उनके मन में यह संदेह था। कि शायद ये सुकुमार शिव के भारी धनुष को उठा न सकें। ऐसे में उनका मन व्याकुल हुआ जा रहा था।

वही तब माता सीता ने धीरज रखकर अपने हृदय में यह विश्वास ले आई, अगर तन मन और वचन से मेरा प्रण सच्चा हैं और श्रीरहुनाथजी ने चरणकमलों में मेरा मन वास्तव में रम गया हैं, तो सबके हृदय में निवास करने वाले श्रीरामजी उन्हें जीवनसंगिनी जरूर बनाएंगे। जिसका जिस पर सच्चा स्नेह होता हैं, वह उसे मिलता ही हैं, इसमें कुछ भी संदेह नहीं हैं।

श्रीरामचरितमानस के दोहों और चौपाइयों का मंत्र के रूप में प्रयोग बहुत ही पहले से किया जाता रहा हैं वही ऐसी भी मान्यता हैं कि इस ग्रंथ में जो दोहे या चौपाई जिस प्रसंग में लिखे गए हैं,उससे मिलती जुलती परिस्थिति पैदा होने पर उन पंक्तियों के ध्यान स्मरण या फिर जाप से साधकों का कल्याण हो सकता हैं। वही मानस में मनचाहा जीवनसाथी पाने का भी बहुत ही सुंदर प्रसंग हैं उन चौपाइयों का मंत्र के रूप से पूरी आस्था के साथ ध्यान व जाप करने से सभी कामनाओं की पूर्ति होती हैं मनचाहा जीवनसाथी पाने का खास मंत्र