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Maa kalaratri katha: नवरात्रि का सातवां दिन आज, जानिए क्यों लिया था मां दुर्गा ने कालरात्रि अवतार

 

शारदीय नवरात्रि का त्योहार चल रहा हैं आज नवरात्रि का सातवां दिन हैं आज के दिन मां के सातवें यानी कालरात्रि अवतार की आराधना व पूजा की जाती हैं मां कालरात्रि अपने भक्तों की रक्षा करता हैं साथ ही दुष्टों को और असुरों को मारने वाली माना गया हैं मां स्वशक्ति साधना करने वाली हैं मां का शरीर घने अंधकार के समान हैं माता के सिर के बाल बिखरे हुए हैं इनकी सवारी गदर्भ मानी जाती हैं मां कालरात्रि अंधकारमय स्थितियों का विनाश करती हैं माता अपने भक्तों की रक्षा काल से करती हैं। मां के तीन नेत्र। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मां दुर्गा ने कालरात्रि अवतार क्यो लिया था, तो आइए जानते हैं।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक रक्तबीज नाम का एक दानव था जिसने देवों और आम जन को बहुत अधिक परेशान कर रखा था। रक्तबीज को वरदान प्राप्त था। कि अगर उसके खून की एक बूंद भी जमीन पर गिरी तो उसके जैसा एक और पैदा हो जाएगा। इसी वरदान के कारण उसे कोई मार नहीं पा रहा था। सभी परेशान देवगण ​भगवान शिव के पास गए और भगवान शिव को यह ज्ञात था कि केवल देवी मां पार्वती ही उसे समाप्त कर सकती हैं उन्होंने देवी से अनुरोध किया कि वो रक्तबीज का वध करें। फिर माता ने स्वयं शक्ति साधना किया। मां का चेहरा बहुत ही भयानक हो गया। वह एक हाथ से रक्तबीज पर प्रहार कर रही थी। तो दूसरे हाथ में एक मिट्टी के पात्र खप्पर से झेल लेती और रक्त को जमीन पर गिरने नहीं देती हैं इस तरह मां का यह रूप कालरात्रि नाम से जाना जाने लगा।