पूजा पाठ: जानिए पूजा के बाद की जाने वाली आरती का महत्व और नियम
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के बाद आरती का विशेष महत्व होता हैं वही दूर से आ रही आरती की मधुर ध्वनि को सुनकर व्यक्ति का हृदय परमात्मा की भक्ति में डूब जाता हैं वही नेत्र स्वयं ही श्रद्धा से झुक जाते हैं ऐसा ही जादू हैं ईश्वर की आरती में। आरती को नीराजन भी कहा जाता हैं नीराजन का मतलब होता हैं विशेष रूप से प्रकाशित करना अर्थात् देव पूजन से प्राप्त होने वाली सकारात्मक शक्ति हमारे मन को प्रकाशित कर व्यक्तित्व को उज्जवल कर दें।
वही स्कन्द पुराण में भगवान की आरती के सम्बन्ध में कहा गया हैं कि अगर कोई मनुष्य मंत्र नहीं जानता हो, पूजन की विधि भी नहीं जानता हो, तो ऐसे पूजन कार्य में अगर श्रद्धा के साथ केवल आरती ही कर ली जाए तो भी प्रभु उसकी पूजा को पूर्ण रूप से स्वीकार कर लेते हैं आरती करने का नियम भी होता हैं।
आरती के बाद दोनों हाथो से आरती ग्रहण करना चाहिए। ऐसा करने के पीछे माना गया हैं कि ईश्वर की शक्ति उस ज्योतिष में समा जाती हैं जिसको भक्त अपने मस्तक पर ग्रहण करके धन्य हो जाते हैं वही आरती वह माध्यम हैं, जिसके द्वार दैवीय शक्ति को पूजन स्थल तक पहुंचने का मार्ग मिल जाता हैं।