Jaya ekadashi vrat katha: जया एकादशी पर सुनें ये पौराणिक कथा, भगवान का मिलेगा आशीर्वाद
पंचांग के मुताबिक माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी के नाम से जाना जाता इस साल जया एकादशी का व्रत 23 फरवरी दिन मंगलवार को रखा जा रहा हैं जया एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से जातक को मोक्ष मिलता हैं और पितशाच योनि से भी मुक्ति प्राप्त होती हैं तो आज हम आपको जया एकादशी से जुड़ी व्रत कथा बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
एक समय नंदन वन में उत्सव का आयोजन हुआ जिसमें सभी देव और ऋषि मुनि आए थे। उस उतसव में गंधर्व कन्याएं नृत्यु कर रही थी और गंधर्व गीत गा रहे थे। उनमें माल्यवान नाम का एक गंधर्व गाय और पुष्यवती नाम की एक नृत्यांगना थी। माल्यवान को देखकर पुष्यवती उस पर मोहित हो गई। वह माल्यवान को रिझाने लगी।
संयोगवश एक बार माघ शुक्ल की जया एकादशी को उन दोनों ने कुछ भी नहीं खाया। न ही कोई पाप कर्म किया। फल पुष्प खाकर ही अपना गुजारा किया। ठंड में भूख से व्याकुल उन दोनों ने एक पीपल के पेड़ के नीचे पूरी रात व्यतीत की। उस दौरान उनको अपनी गलती का पश्चाताप हो रहा था। उन्होंने फिर ऐसी गलती न करने का प्रण लिया। सुबह होते ही दोनों के प्राण शरीर से निकल गए। उन्हें मालूम नहीं था कि उस दिन जया एकादशी थी।
उन्होंने कहा कि उनसे अनजाने में ही जया एकादशी का व्रत हो गया। भगवान विष्णु की कृपा से वे दोनों पिशाच योनि से मुक्त हो गए। इस तरह से ही जया एकादशी का व्रत करने से लोगों को अपने पापों से मुक्ति मिलती हैं।