×

कर्ज चुकाना हो रहा मुश्किल, तो करें ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का पाठ

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हर कोई दिनों रात मेहनत करके धन कमाने की कोशिश में लगा हुआ हैं मगर फिर भी अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी कर्ज लेना ही पड़ता हैं कई बार व्यक्ति कर्ज को जल्दी चुकाना भी चाहता हैं लेकिन कर्ज का अंत ही नहीं होता हैं

ऐसे समय में ऋणमोचन हेतु ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का निरंतर पाठ करने से कर्ज शीघ्र ही चुकता हो जाता हैं साथ ही धन पाने के अन्य मार्ग भी निकल आते हैं वही बुधवार के दिन श्री गणेश भगवान की विधि विधान से पूजा करने के बाद ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का पाठ करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आएं है संपूर्ण ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत, तो आइए जानते हैं। 

ऋणहर्ता गणपति स्त्रोत—
 
ध्यान—
 
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम्।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम्।।
 
।।मूल-पाठ।।
 
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।1
 
त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।2
 
हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।3
 
महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।4
 
तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।5
 
भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।6
 
शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।7
 
पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित:।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे।।8
 
इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित:।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत्।।