मनोविकार से चाहते हैं छुटकारा, तो करें चंद्र कवच का पाठ
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में सूर्य और चंद्रमा को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती हैं। इनकी पूजा से जीवन में सुख शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। चंद्रमा का एक अन्य नाम सोम हैं। चंद्रमा को भारतीय ज्योतिष में जल तत्व का ग्रह माना गया हैं जिन लोगों की कुंउली में चंद्रमा कमजोर स्थिति में होता है उन लोगों को मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं
ऐसे लोगों को चंद्रमा के अत्यंत प्रभावशाली चंद्र कवच का पाठ जरूर करना चाहिए। चंद्र कवच महर्षि गौतम ने रचा हैं पूर्णिमा के दिन इस कवच का पाठ करना चाहिए ऐसा करने से आपकी कुंडली से चंद्र दोष दूर हो जाता हैं
आपकी सभी मानसिक परेशानियां दूर होगी। साथ ही रचनात्मकता में होने वाली वृद्धि आपको शिक्षा और कार्यक्षेत्र में सफलता और तरक्की पाने में लाभ प्रदान करती हैं। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं चंद्र कवच का संपूर्ण पाठ, तो आइए जानते हैं।
श्री चंद्र कवच—
श्रीचंद्रकवचस्तोत्रमंत्रस्य गौतम ऋषिः । अनुष्टुप् छंदः।
चंद्रो देवता । चन्द्रप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः ।
समं चतुर्भुजं वन्दे केयूरमुकुटोज्ज्वलम् ।
वासुदेवस्य नयनं शंकरस्य च भूषणम् ॥ १ ॥
एवं ध्यात्वा जपेन्नित्यं शशिनः कवचं शुभम् ।
शशी पातु शिरोदेशं भालं पातु कलानिधिः ॥ २ ॥
चक्षुषी चन्द्रमाः पातु श्रुती पातु निशापतिः ।
प्राणं क्षपाकरः पातु मुखं कुमुदबांधवः ॥ ३ ॥
पातु कण्ठं च मे सोमः स्कंधौ जैवा तृकस्तथा ।
करौ सुधाकरः पातु वक्षः पातु निशाकरः ॥ ४ ॥
हृदयं पातु मे चंद्रो नाभिं शंकरभूषणः ।
मध्यं पातु सुरश्रेष्ठः कटिं पातु सुधाकरः ॥ ५ ॥
ऊरू तारापतिः पातु मृगांको जानुनी सदा ।
अब्धिजः पातु मे जंघे पातु पादौ विधुः सदा ॥ ६ ॥
सर्वाण्यन्यानि चांगानि पातु चन्द्रोSखिलं वपुः ।
एतद्धि कवचं दिव्यं भुक्ति मुक्ति प्रदायकम् ॥
यः पठेच्छरुणुयाद्वापि सर्वत्र विजयी भवेत् ॥ ७ ॥
॥ इति श्रीब्रह्मयामले चंद्रकवचं संपूर्णम् ॥