×

कैसा था रामायण काल, जानिए यहां विस्तार से

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में रामायण ग्रंथ को बहुत ही पवित्र और पुण्यदायी माना गया हैं वही रामायण काल को भी श्रीराम के राज्य कहा जाता हैं वही आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत काल 3137 ईसा पूर्व में हुआ था यानी 5155 साल पूर्व हुआ था नए शोधानुसार रामायण काल को करीब 7323 ईसा पूर्व यानी आज से करीब 8341 साल पूर्व का बताया गया हैं

जबकि भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व चैत्र मास की नवमी को हुआ था। वही आईआईटी खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व विभाग के वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी सभ्यता की प्राचीनता को लेकर नए तथ्य सामने रखें। वैज्ञानिकों के अनुसार यह सभ्यता 5500 साल नहीं बल्कि 8000 साल पुरानी थी। 

वैज्ञानिकों का यह शोध 25 मई 2016 को प्रतिष्ठित रिसर्च पत्रिका ने प्रकाशित किया। वैज्ञानिकों ने सिंधु घाटी की पोंटरी की नई सिरे से पड़ताल की और इसकी उम्र का पता लगाया तो यह 6000 सल पुराने निकले हैं। इसके अलावा अन्य कई शोध से यह पता चला कि यह सभ्यता 8000 साल पुरानी हैं। इसका मतलब यह कि यह सभ्यता तब विद्यमान थी जबकि भगवान श्रीराम का काल था तब मिस्त्र की सभ्यता की शुरुआत हो रही थी यह तो हुई रामायण के काल की बात यह जान ले कि इस काल में क्से लोग रहते थे।

भगवान श्रीराम का काल ऐसा काल था जब धरती पर विचित्र किस्म के लोग और प्रजातियां रहती थी। मगर प्राकृतिक आपदा या अन्य कारणों से प्रजातियां अब लुप्त हो गई जैसे वानर, गरुड़, रीछ आदि माना जाता हैं कि रामायण काल में सभी पशु, पक्षी और मानव की काया विशालकाय होती थी। मनुष्य की उंचाई 21 फिर के लगभग थी। 

वही वानर को बंदरों की श्रेणी में नहीं रखा जाता था। वानर का अर्थ होता था। वन में रहने वाला नर। जीवविज्ञान शास्त्रियों के अनुसार कपि मानवनुमा एक ऐसी मुख्य जाति है जिसके अंतर्गत छोटे आकार के गिबन, सियामग आदि आते हैं और बड़े आकार में चिम्पांजी, गोरिल्ला और ओरगउटान आदि वानर आते हैं। इस कपि को साइंस में होमिनोइडेया कहा जाता हैं।