कुंडली के गुरु को कैसे करें मजबूत? यहां जानें बेहद सरल सा उपाय
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है वही गुरुवार का दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देव गुरु बृहस्पति को समर्पित किया गया है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर उपवास आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान की असीम कृपा बरसती है
लेकिन अगर किसी जातक की कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति कमजोर है और वह अशुभ फल प्रदान कर रहा है जिसके कारण व्यक्ति को जीवन में कष्टों व दुखों का सामना करना पड़ रहा है तो ऐसे में आप गुरुवार के दिन देव गुरु बृहस्पति के चमत्कारी मंत्रों का जाप कर कुंडली के गुरु को मजबूत कर शुभ फल प्राप्त कर सकते हैं, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं देव गुरु के चमत्कारी मंत्र।
देवगुरु बृहस्पति के मंत्र—
1. देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
2. ॐ बृं बृहस्पतये नमः।।
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3. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः।।
4. ॐ ह्रीं नमः।
ॐ ह्रां आं क्षंयों सः ।।
5. बृहस्पति मंत्र -
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः!
6. ध्यान मंत्र -
रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।
8. बृहस्पति विनियोगा मंत्र -
ॐ अस्य बृहस्पति नम:
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नम:
ॐ सुराचार्यो देवतायै नम:
ॐ बृं बीजाय नम:
ॐ शक्तये नम:
ॐ विनियोगाय नम:
9. ऊं अंशगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात्।
10. गुरु का वैदिक मंत्र -
ओम बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।
यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
"ॐ बृ बृहस्पतये नमः"
ॐ अंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात"