Gayatri mantra: गायत्री महामंत्र के होते हैं तीन अर्थ, जानिए इसकी शक्ति का राज
हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ साथ मंत्र जाप को भी विशेष महत्व दिया जाता हैं वही गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा जाता हैं इसका महत्व सर्वोपरि माना गया हैं
यहां पढ़ें गायत्री मंत्र—
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
जानिए पहला अर्थ— हम पृथ्वीलोक, भुवर्लोक और स्वर्लोक में व्यापत उस सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज का ध्यान करते हैं व्यक्ति की बुद्धि को सन्मार्ग की तरफ चलने के लिए परमात्मा को तेज प्रेरित करें।
जानिए दूसरा अर्थ— उस दुखनाशक, तेजस्वी, पापनाशक, प्राणस्वरूप, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंत:करण में धारण करें। हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में परमात्मा प्रेरित करें।
जानिए तीसरा अर्थ— ॐ: सर्वरक्षक परमात्मा, भू: प्राणों से प्यारा, भुव: दुख विनाशक, स्व: सुखस्वरूप है, तत्: उस, सवितु: उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक, वरेण्य: वरने योग्य, भर्गो: शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, देवस्य: देव के, धीमहि: हम ध्यान करे, धियो: बुद्धि को, यो: जो, न: हमारी, प्रचोदयात्: शुभ कार्यों में प्रेरित करें।
हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक अगर इस मंत्र का लगातार जाप किया जाए तो इससे मस्तिष्क का तंत्र बदल जाता हैं इससे मानसिक शक्ति में वृद्धि होती हैं और नकारात्मक शक्तियां जपकर्ता से दूर चली जाती हैं