क्या सच में आत्मिक उत्थान का मार्ग खोलती है सावन में भगवान शिव की आराधना, इस पौराणिक कथा के माध्यम से जानें सबकुछ
सावन शिव आराधना का सबसे पवित्र महीना है। इस महीने में प्रकृति, भक्ति और आध्यात्म का अनूठा संगम देखने को मिलता है। भक्त गंगाजल भरकर मंदिरों में पहुँचते हैं और शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। शिव अनादि हैं। न तो उनका आरंभ है और न ही अंत। वे सृष्टि के मूल कारण हैं। ब्रह्मा को सृष्टिकर्ता, विष्णु को पालनकर्ता और शिव को संहारक कहा गया है, लेकिन स्कंद पुराण में तीनों को महेश्वर अंश से उत्पन्न बताया गया है। निःसंदेह, शिव ही मूल तत्व हैं।
इसे अनंत क्यों कहा जाता है?
शिव के निराकार रूप का प्रतीक शिवलिंग है, जो स्वयं ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करता है। शिव की जलहरी संपूर्ण ब्रह्मांड को समाहित करती है। वे साकार हैं, निराकार हैं। विद्या और अविद्या, व्यक्त और अव्यक्त, दोनों शक्तियाँ शिव से प्रकट होती हैं। जब संसार में अंधकार था, जब जल ही जल था, तब भी शिव थे। इसीलिए उन्हें अनादि और अनंत कहा जाता है।
सावन में शिव पूजा का महात्म्य
सावन में शिव पूजा का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह महीना भक्तों को शिव के निकट आने का अवसर प्रदान करता है। भक्त जलाभिषेक, व्रत और रुद्राभिषेक के माध्यम से अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। श्रावण शिव की पूजा द्वारा स्वयं को अनुशासित करके इस जीवन और प्रकृति के आनंद का अनुभव करने की प्रेरणा देता है।
पाएँ ये लाभ
सावन में की गई शिव पूजा न केवल सांसारिक कल्याण प्रदान करती है, बल्कि आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग भी खोलती है। संसार शिव में है और शिव मोक्ष के द्वार हैं। अतः सावन, श्रद्धा और शिव का मिलन जीवन को दिव्यता से भर देता है।