"Chhath Puja 2025" 25 या 26 अक्टूबर, कब से आरंभ हो रहा छठ पर्व? जानें नहाय खाय,खरना से लेकर सूर्योदय अर्घ्य तक का शुभ मुहूर्त
छठ पूजा, देश के प्रमुख और सबसे पावन त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और पूर्वांचल के कुछ हिस्सों में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है और सूर्य देव तथा छठी मैया की पूजा को समर्पित है। इस दौरान, महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि, संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए कठिन व्रत रखती हैं।
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
25 अक्टूबर 2025-
- सूर्योदय- प्रात: काल 06:41 पर
- सूर्योस्त- शाम 06:06 पर
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05 बजे से सुबह 05:51
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर में 12:01 से 12:46
26 अक्टूबर 2025-
- सूर्योदय- प्रात: काल 06:41 पर
- सूर्योस्त- शाम 06:05 पर
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:01 से 05:51
- अभिजित मुहूर्त- दोपहर में 12:01 से 12:46
27 अक्टूबर 2025-
- सूर्योदय- प्रात: काल 06:42 पर
- सूर्योस्त- शाम 06:05 पर
- ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 05:01 से 05:51
- सायाह्न सन्ध्या- शाम में 06:05 से 07:20
28 अक्टूबर 2025-
- सूर्योदय- प्रात: काल 06:42 पर
- सूर्योस्त- शाम 06:04 पर
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष छठ पूजा का महापर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरू होकर सप्तमी तिथि को समाप्त होगा। आइए जानते हैं छठ पूजा की पूरी तिथियां और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण अनुष्ठानों के बारे में।
छठ पूजा 2025: चार दिनों का महापर्व
1. नहाय-खाय (25 अक्टूबर 2025, शनिवार): छठ पूजा का पहला दिन 'नहाय-खाय' कहलाता है। इस दिन व्रती महिलाएं और पुरुष पवित्र नदियों या जलाशयों में स्नान करते हैं। इसके बाद वे सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसमें लौकी की सब्जी, चने की दाल और चावल शामिल होता है। यह अनुष्ठान व्रत की शुरुआत का प्रतीक है और शरीर को शुद्ध करने का एक तरीका है।
2. लोहंडा और खरना (26 अक्टूबर 2025, रविवार): दूसरे दिन को 'लोहंडा और खरना' के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं दिन भर निर्जला (बिना पानी) व्रत रखती हैं। शाम को, वे सूर्य देव की पूजा करने के बाद गुड़ और चावल से बनी खीर, पूड़ी और केले का भोग लगाती हैं। इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने के बाद, व्रती महिलाएं 36 घंटे का लंबा निर्जला व्रत शुरू करती हैं, जो अगले दो दिनों तक चलता है।
3. छठ पूजा और संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर 2025, सोमवार): यह छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन व्रती महिलाएं किसी पवित्र नदी या तालाब के किनारे जाती हैं और डूबते हुए सूर्य को 'संध्या अर्घ्य' देती हैं। इस दौरान वे सूप (बांस की टोकरी) में फल, ठेकुआ और अन्य पारंपरिक प्रसाद सजाकर सूर्य देव को अर्पण करती हैं। इस अनुष्ठान को छठ पूजा का हृदय माना जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह सूर्यास्त के समय की पूजा है, जो प्रकृति और जीवन के चक्र का सम्मान करती है।
4. उषा अर्घ्य और पारण (28 अक्टूबर 2025, मंगलवार): छठ पूजा का समापन चौथे दिन, यानी सप्तमी तिथि को होता है। इस दिन व्रती महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी या तालाब के किनारे पहुंचती हैं और उगते हुए सूर्य को 'उषा अर्घ्य' देती हैं। अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं प्रसाद खाकर और जल ग्रहण करके अपना व्रत तोड़ती हैं, जिसे पारण कहा जाता है। इस दिन के साथ ही महापर्व का समापन होता है।
छठ पूजा का यह पर्व न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह प्रकृति, सूर्य देव और जल के महत्व को भी दर्शाता है, जो जीवन के लिए आवश्यक हैं। इस साल भी यह पर्व पूरे देश में भक्तों द्वारा बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा।