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हमेशा शनि की कृपा में रहने वाले अटल जी, आज वही शनि ले रहा हैं उनका इम्तिहान

 

जयपुर। अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिस्बर 1924  की सुबह 04:00 से 04:15 के बीच ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। इनका जन्म ज्येष्ठा नक्षत्र के दूसरे चरण एवं तुला लग्न में हुआ था। इनके जन्म के समय लग्न में ही तुला राशि पर शनि होने के कारण योगों में प्रधान पंचमहापुरुष योग- शशक, जनप्रिय एवं चक्रवर्ती योग बना हुआ था।

वहीं द्वितीय वाणी भाव में चंद्र और शुक्र थें। तृतीय पराक्रम भाव में सूर्य बुध और गुरु चतुर्थ भाव में केतु और छठे शत्रु भाव में मंगल कुड़ली में थें। इनकी कुड़ली में राजनीति का कारक ग्रह राहु दशवे घर में यानी कर्म भाव में हैं।

लग्नेश शुक्र का कुंडली के राजयोग कारक ग्रह शनि के नक्षत्र में बैठना एवं कर्मभाव के स्वामी चंद्र का भाग्य भाव के स्वामी बुध के नक्षत्र के कारण इनको कुशल एवं प्रखर वक्ता बनाएं जिसके कारण इनको जन जन में लोकप्रियता मिली।


अटल जी की जन्मकुंडली में अष्टकवर्ग के लग्न होने से इनका व्यक्तित्व प्रभावशाली बना। ये जहा भी जातें अपनी छाप लोगो में थोड कर आते। इनकी कुड़ली में दशमेश एवं लग्नेश होने से इनको भारत रत्न जैसे श्रेष्ठतम नागरिक सम्मान से अलंकृत किया।

वहीं कुड़ली के तीसरे भाव में सूर्य और छठे भाव में मंगल के होने से साहसी और शत्रु को पराजित करने वाले बने। इनकी कुंडली में शनि, चंद्रमा व राहु ये तीन मेन ग्रह हैं जिनसे इनकी पूजी जिन्दगी प्रभावित हुए। अटल जी का जीवन शनि राहु और चंद्रमा के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है। शनि ने इन्हें जनप्रिय बनाया तो राहू ने राजनीति में कौशल दिया।