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क्या आप भी हैं बुधदोष के शिकार, तो इन उपायों से जल्द मिल जाएगा छुटकारा

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: ​हिंदू धर्म के अनुसार बुधवार के दिन श्री गणेश की उपासना के लिए बेहद ही खास माना जाता हैं क्योंकि बुधवार का दिन श्री गणेश को समर्पित होता हैं इसके साथ ही ये दिन बुध ग्रह को समर्पित होता हैं बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना जाता हैं

बुध के मजबूत रहने से जातक अपने जीवन में यश, और कीर्ति पाता हैं अगर बुध कमजोर है तो व्यक्ति को सिर दर्द, त्वचा और गर्दन की समस्या होती हैं ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, वाणी, तर्क क्षमता और मानसिक योग्यता का ग्रह माना जाता हैं अगर किसी जातक की कुंडली में बुध ग्रह होता हैं तो उसके बनते काम बिगड़ने लगते हैं ज्योतिष अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुधदोष है तो कुछ विशेष उपायों को करने से आपकी सभी परेशानी दूर हो जाती हैं तो आज हम आपको बुध दोष को दूर करने के उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

बुध दोष मुक्ति के उपाय—
ज्योतिष अनुसार बुधदोष को दूर करने के लिए अपने रिश्तेदारों के साथ संबंध मधुर रखना चाहिए इसके लिए सबसे पहले अपने व्यवहार में सुधार करें। अगर बुध दोष प्रबल है तो नाक छिदवाना शुभ माना जाता हैं इसके लिए एक बार अपने नजदीक के प्रकांड पंडित अथवा ज्योतिष से संपर्क करें। हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा प्राप्त हैं गौ माता की सेवा करने और हरी घास खिलाने से बुधदोष दूर होता हैं इसके लिए बुधवार के दिन गाय को हरी घास जरूर खिलाएं। घर के पूर्व दिशा में लाल झंडा लगाना चाहिए।

बुध दोष को दूर करने के लिए रोजाना 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे' मंत्र का जाप करें। बुध ग्रह का प्रतीक हरा रंग होता हैं इसलिए बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनने से भी बुध ग्रह के दोष को दूर किया जा सकता हैं इसके अलावा बुधवार को हरी मूंग के दाने या हलवा का सेवन करना भी लाभदायक माना जाता हैं। 

ज्योतिष अनुसार बुध ग्रह के दोष को दूर करने के लिए चांदी या कांस के गोल टुकड़े को अपने पर्स में रखें। ऐसा करने से पैसों की कमी नहीं होगी और सकारात्मकता बनी रहेगी। बुध ग्रह के दोष को दूर करने के लिए भगवान श्री गणेश जी की विधि विधान से पूजा करें। बुधवार के दिन भगवान गणेश को लड्डू और 11 या 21 दूर्वा अर्पित करना शुभ होता हैं।  

बुध शांति ग्रह मंत्र—

प्रियंगुकलिकाश्यामं रूपेणांप्रतिमं बुधम्।

सौम्यं सौम्यगुणोपेतं तं बुधं प्रणमाम्यहम्॥