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सनातन धर्म में क्यों होती है मां दुर्गा की पूजा, क्या है इनके जन्म का रहस्य

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में ईश्वर आराधना को सर्वोत्तम माना गया है वही मान्यता है कि देवी देवताओं की पूजा आराधना करने से भक्तों को विशेष फलों की प्राप्ति होती है और जीवन के कष्टों का निवारण हो जाता है नवरात्रि के दिनों में अधिकतर लोग मां दुर्गा की आराधना और पूजा करते है लेकिन अधिकतर लोगों के मन में ये विचार आता है कि माता दुर्गा का जन्म कैसे और क्यों हुआ अगर आप भी इस प्रश्न का उत्तर जानना चाहते हैं तो आज का हमारा पूरा लेख जरूर पढ़ें। 

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार दवी दुर्गा अपने पूर्व जन्म में प्रजापति दक्ष की कन्या के रूप में उत्पन्न हुई थी तब दुर्गा का नाम सती था और इनका विवाह शिव से हुआ था एक बार प्रजापति ने एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया। इस यज्ञ में सभी देवी देवताओं को आमंत्रण मिला। लेकिन शिव को आमंत्रण नहीं दिया गया। सती ने अपने पिता का यज्ञ देखने और वहां जाकर परिवार के साथ मिलने का आग्रह शिव से करती है और शिव भी उन्हें वहां जाने की अनुमति दे देते है

सती ने पतिा के घर पहुंचकर देखा कि कोई भी उनसे आदर और प्रेम से बात नहीं कर रहा है उन्होंने देखा कि वहां शिव के प्रति तिरस्कार का भाव भरा हुआ है। पिता दक्ष ने भी शिव के प्रति अपमानजनक वचन कहे। यह सब देख कर सती का मन ग्लानि और क्रोध से भर गया। वह अपने पति का अपमान न सह सकी और उन्होंने अपने आपको यज्ञ में जला कर भस्म कर लिया। फिर अगले जन्म में देवी सती ने ही नव दुर्गा का रूप धारण कर जन्म लिया।

जब देव और दानव युद्ध कर रहे थे और देवतागण परास्त हो गए तो सभी देवी देवताओं ने आदि शक्ति का आवाहन किया और एक एक करके उपरोक्त नौ दुर्गाओं ने युद्ध भूमि में उतरकर अपनी रणनीति से धरती और स्वर्ग में छाए हुए दानवों का संहार किया। तब से मां दुर्गा को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है।