कलियुग को ही क्यों कहा गया है तप के लिए सबसे श्रेष्ठ युग
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में कई पवित्र ग्रंथ है जिनमें गूढ रहस्य छिपा हुआ है मान्यता है कि जो भी मनुष्य इन रहस्यों व ज्ञान को समझ लेगा उसका पूरा जीवन धन्य हो जाएगा वह परमात्मा से जुड़ जाएगा वही धार्मिक तौर पर कुछ चार युग का वर्णन किया गया है जिनमें पहला युग सतयुग है जो स्वयं देवता किन्नर और गंधर्व का है जब वे पृथ्वी पर निवास करते थे।
सतयुग के बाद त्रेता युग आया जिसमें प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था इसके बाद द्वापर युग का आरंभ हुआ इसी युग में भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर पृथ्वी से दुष्टों का अंत किया। द्वापर युग के बाद कलयुग का वर्णन किया गया है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कलयुग से जुड़ी कुछ अहम बातों के बारे में बता रहे हैं जिसका जानना सभी के लिए जरूरी है तो आइए जानते हैं।
जानिए कलयुग से जुड़ी अहम बातें—
वेदों और पुराणों के मुताबिक कलयुग का कालखंड सबसे छोटा माना गया है इस युग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार होगा जिसका नाम कल्कि होगा। विष्णु पुराण के अनुसार इस युग में कन्याएं 12 वर्ष की आयु में ही गर्भवती होने लगेंगी। मनुष्य की औसत आयु घटकर 20 वर्ष की ही रह जाएगी। विष्णु पुराण की मानें तो देवताओं के पूछे जाने पर कि किस युग में तप और पुण्य का फल शीघ्र प्राप्त होगा तो पराशर ऋषि ने वेदव्यासजी के कथनों का जिक्र करते हुए कलियुग को सबसे उत्तम बताया गया है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार देवव्यास जी ने सभी युगों में कलयुग को सबसे श्रेष्ठ युग कहा है यह विष्णु पुराण में भी वर्णित है एक कथा अनुसार ऋषियों और मुनियों के साथ चर्चा करते हुए वेदव्यास जी कहते हैं कि सभी युगों में कलयुग ही सबसे श्रेष्ठ युग है क्योंकि दस साल में जितना तप और व्रत करके कोई मनुष्य सतयुग में पुण्य पाता है त्रेतायुग में वही पुण्य एक साल के तप द्वारा मिल जाता है। ठीक उसी तरह द्वापर युग में एक महीने के तप से पुण्य प्राप्त होता है लेकिन कलयुग में इतना ही बड़ा पुण्य मात्र एक दिन के तप से प्राप्त कया जा सकता है इस तरह व्रत और तप के फल की प्राप्ति के लिए कलयुग ही श्रेष्ठ युग माना जाता है।