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कौन हैं अघोरी, क्या है इनकी रहस्यमयी दुनिया का राज़

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: सनातन धर्म में ईश्वर साधना को सर्वोत्तम माना गया है और धार्मिक तौर पर भगवान की आराधना के कई तरीके व नियम भी बताए गए है जिनका लोग अपनी इच्छा अनुसार पालन भी करते है आपने कई लोगों से अघोर या अघोरी शब्द सुना होगा, इनकी अपनी अलग दुनिया होती है ये हर तरह की मोह माया से दूर रहते है श्वेताश्वतरोपनिषद में भगवान शिव शंकर को अघोरनाथ कहा गया है

अघोरी भी इनके ही उपासक माने जाते है भगवान भैरव को भी अघोरियों का अराध्य देव कहा गया है। धार्मिक तौर पर भगवान शिव को अधोर पंत का प्रणेता कहा जाता है शिव के अवतार अवधूत भगवान दत्तात्रेय को भी अघोरशास्त्र का गुरु कहा गया है अघोर संप्रदाय शिव के अनुयायी माने जाते है इनके अनुसार शिव स्वयं में संपूर्ण और और सभी रूपों में वे विद्यमान है, ऐसे में अगर आप अघोरियों के जीवन रहस्य के बारे में जानना चाहते है तो आपको हमारा ये पूरा लेख पढ़ना होगा। 

अघोरियों की रहस्यमयी दुनिया का राज़—
ऐसा कहा जाता है कि अघोरी श्मशान में रहते है और अधजले शवों को निकालकर उसका मांस खाते है इसके पीछे माना जाता है कि ऐसा करना अघोरियों की तंत्र क्रिया की शक्ति को प्रबल बनाता है। ऐसा कहा जाता है कि अघोरी शिव जी के उपासक होते है और शिव साधना में लीन रहते है इसके साथ ही ये वे शव के पास बैठकर भी साधना करते है क्योंकि ये शव को शिव प्राप्ति का मार्ग कहते है। ये अपनी साधना में शव के मांस और मदिरा का भोग लगाते है मान्यता है कि ये एक पैर पर खड़े होकर शिव साधना करते है और श्मशान में बैठकर हवन पूजन करते है।

अघोरी बाबा शव के साथ शारीरिक संबंध बनाते है इसे वह शिव और शक्ति की उपासना का तरीका मानते है उनका मानना है कि अगर शव के साथ शारीरिक क्रिया के दौरान अगर मन ईश्वर की भक्ति में लगा रहे तो यह साधना का सबसे उच्च स्तर होता है। वही यह भी कहा जाता है कि अघोरी अपने पास हमेशा ही नरमुंड यानी की इंसानी खोपड़ी को रखते है इसे कापालिका भी कहते है कहा जाता है कि इसका इस्तेमाल वे अपने भोजन पात्र के रूप में करते है अघोरीबाबा किसी से भिख मांग कर अपना जीवन बसर नहीं करते है, ये स्वयं की दुनिया में ही रहते है अघोरी पूरे देश में पाए जाते है लेकिन सबसे अधिक बनारस, काशी आदि जगहों पर होते है।