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क्या होता है खरमास, इस दौरान क्या करें और क्या नहीं

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों के लिए खरमास बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है ये वो समय होता है जब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है सूर्य की संक्रांति और चंद्रमा पर आधारित होने वाले हिंदू पंचांग के कुल 12 मास होते हैं जिनमें 11 दिनों का अंत आ जाता है जो करीब एक माह का हो जाता है इसलिए हर तीसरे साल खरमास लगता है इसे आम बोलचाल में मलमास भी कहा जाता है

आषाढ़ शुक्ल से पुरुषोत्तम मास शुरू हो जाता है इसी को खरमास के नाम से जाना जाता है खरमास की अवधि में सभी शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है इस दौरान गृह प्रवेश, तिलक, शादी विवाह, मुंडन आदि जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं मान्यता है कि इनको इस दौरान करने से कष्टों का जीवन में आगमन होता है तो आज हम आपको खरमास के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शकुनि, चतुष्पद, नाग व किस्तुघ्न ये चारों करण रवि का मल होते हैं सूर्य का संक्रमण इनसे जुड़े होने के कारण अधिक मास को खरमास कहा जाता है। आपको बता दें कि पुरुषोत्तम मास को ही मलमास या अधिक मास के नाम से जाना जाता है जिस मास में सूर्य संक्रांति नहीं होती है उसे मलमास कहा जाता है

इस दौरान सभी तरह के मांगलिक कार्यों को करने से दूरी बनानी चाहिए मान्यता है इस वक्त ईश्वर का ध्यान पूजन और व्रत व दान आदि करना लाभकारी होता है। इस दौरान हवन करने से मन को शांति प्राप्त होती है। ऐसा कहा जाता है कि खरमास में अधिक वक्त भगवान का ध्यान करना चाहिए ऐसा करना शुभ माना जाता है।