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धर्म शास्त्रों में क्या हैं पूजा पाठ के नियम, न करें अनदेखी

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में ​ईश्वर का ध्यान पूजन करना विशेष परंपरा मानी जाती है और ये पुराने समय से ही चली आ रही है पूजा करने से घर का वातावरण शुद्ध और सकारत्मक हो जाता है और आत्मीय सुख व शांति की प्राप्ति होती है वही पूजा पाठ करने से ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति हो जाती है हिंदू धर्म शास्त्रों में पूजा पाठ से जुड़े कई नियम और तरीके बताए गए है

जिसका अनुसरण करने से जीवन सफल और शांति पूर्वक व्यतीत होता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा देवी देवताओं की पूजा से जुड़े कुछ शास्त्रीय नियम बता रहे हैं जिसका जानना आपके लिए बेहद जरूरी है तो आइए जानते हैं पूजा पाठ के नियम। 

शास्त्र अनुसार जानिए पूजन के नियम— 
शास्त्र और वास्तु अनुसार पूजा घर हमेशा ही घर के ईशान कोण में ही होना चाहिए यहां पर एक देवी देवता की मूर्ति एक से अधिक नहीं होनी चाहिए वहीं पूजन से जुड़ी सभी चीजों को हमेशा ही साफ वस्त्र के ऊपर रखना चाहिए तभी पूजा पाठ का उचित फल मिलेगा। वही अगर आप किसी विशेष कार्य की पूर्ति के लिए कोई संकल्प लिया है तो उसे पूरा करने में अधिक वक्त नहीं लगाना चाहिए ​इसे जितना जल्दी हो सके पूरा कर देना चाहिए देरी करने से लाभ नहीं मिलता है वही अपने से बड़े लोगों का कभी नहीं करना चाहिए। वही धार्मिक तौर पर अगर देखा जाए तो अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दर्शी और अष्टमी तिथि महत्वपूर्ण होती है इस दिन पूजा पाठ, व्रत और संयम का अहम स्थान  होता है ऐसे में इन तिथियों पर मांसाहार का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए।

पूजा पाठ करते वक्त मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में ही रखना चाहिए वही स्नान से पहले ही ईश्वर को अर्पित करने वाले पुष्पों को तोड़ लेना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है वही पूजन में देवी देवताओं को तिलक, सिंदूर, चंदन, कुमकुम और हल्दी को अनामिका उंगली से ही लगाना चाहिए इसे बेहतर माना जाता है वही गंगाजल, तुलसी पत्ता, बिल्वपत्र और कमल के पुष्प को भी बासी नहीं माना जाता है वही भगवान शिव व श्री गणेश की पूजा में तुलसी अर्पित नहीं करना चाहिए। वही पूजा समाप्त होने के बाद ईश्वर से भूल चूक के लिए क्षमा याचना जरूर करनी चाहिए इससे व्रत पूजन का फल प्राप्त होता है।