×

भय और संकट से छुटकारा पाने के लिए नियमित करें संकटनाशन गणेश स्तोत्र पाठ

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म और शास्त्रों के अनुसार सप्ताह के सातों दिनों को किसी न किसी देवी देवता की पूजा आराधना को समर्पित किया गया है वही बुधवार का दिन प्रथम पूजनीय श्री गणेश की पूजा अर्चना को समर्पित किया गया है इस दिन गणपति की आराधना करना श्रेष्ठ माना जाता है भक्त बुधवार के दिन भगवान श्रीगणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और उपवास भी रखते हैं

ऐसा कहा जाता है कि आज के दिन पूरी निष्ठा भाव से संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करने से सभी तरह के संकट और भय से मुक्ति मिल जाती है नारद पुराण के अनुसार श्री गणेश का लो​कप्रिय संकटनाशन स्तोत्र, मुनि श्रेष्ठ श्री नारद जी द्वारा कहा गया है इस स्तोत्र के पाठ से व्यक्ति के जीवन के संकट मिट जाते हैं इस स्तोत्र को श्री संकटनाशन स्तोत्र अथवा सङ्कटनाशन गणपति स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री संकटनाशन स्तोत्र। 

श्री संकटनाशन स्तोत्र—

॥ श्री गणेशायनमः ॥
नारद उवाच -
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम ॥2॥

लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥3॥

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर: ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय: ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: ॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌ ॥