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कर्ज मुक्ति के लिए नियमित करें ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हर कोई अपने जीवन में धन दौलत की कामना करता है इसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता है जिससे उसके घर परिवार के हर सदस्य की इच्छाएं और जरूरतें पूरी हो सके मगर धन की कमी आज के समय में अधिकतर लोगो के पास होती है ऐसे में उन्हें कर्ज का सहारा लेना पड़ता है

कर्ज लेना तो आसान होता है मगर उसे चुका पाना उतना ही मुश्किल होता है ऋण से छुटकारा पाने के लिए ऋणहर्ता गणपति स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भक्त को कर्ज चुकाने में आसानी होती है साथ ही साथ धन अर्जित करे के अन्य कई साधन भी निकल आते हैं ऐसे में आज हम आपके लिए लेकर आए है ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का संपूर्ण। 

ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र—  

॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥