ये ग्रह व्यक्ति को बनाते हैं आलसी और सुस्त, एक्टिव रहने के लिए करें ये उपाय
ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: ज्योतिष और कुंडली में ग्रहों को विशेष माना गया है जीवन में घट रही घटनाओं के पीछे ग्रहों का हाथ होता है जातक का स्वभाव, भविष्य और व्यक्तित्व सभी कुछ ग्रहों पर निर्भर करता है कई बार आपने देखा होगा कि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से फिट होते हुए भी आलस और सुस्ती से भरा होता है इसके पीछे भी जातक की कुंडली की ग्रह दशा होती है ज्योतिष अनुसार जातक के ग्रहों की कुछ विशेष दशा व्यक्ति को आलसी बना देती है तो आज हम आपको ग्रहों की उन दशाओं के बारे में बता रहे हैं जो मनुष्य को आलसी और सुस्त बनाती है, तो आइए जानते हैं।
सभी ग्रहों में शनि बहुत ही धीमी चाल से चलता है जिन जातकों के जीवन में शनि की अशुभ दशा होती है वे जीवन में आलसी बन जाते हैं इसका अर्थ ये नहीं कि शनि आलस को बढ़ाते हैं बल्कि शनि देव तो जातक को अनुशासन में रहना और मेहनत करना सिखते हैं लेकिन शनि के शत्रु भाव में होने के कारण जातक सुस्त हो जाता है।
सूर्य ग्रह को वैसे तो एनर्जी का स्तोत्र माना जाता है लेकिन किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य कमजोर होने पर जातक बेहद आलसी बनता है इस हद तक व्यक्ति आलसी हो जाता है कि उसका बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता है। जातक की जन्म कुंडली में राहु के लग्न भाव में होने पर जातक आलसी हो जाता है ऐसे लोग आसानी से कोई निर्णय नहीं ले पाते और सही गलत में अंर नहीं कर पाते हैं ऐसे लोगों का दिमाग बहुत धीरे काम करता है।
ज्योतिष अनुसार चंद्रमा किसी भी जातक की कुंडली में अगर केंद्र यानी पहले, चौथे, सातवें या दसवें घर का स्वामी होता है यानी जिन जातकों की कुंडली में इन घरों की कर्क राशि होती है वे बहुत आलसी स्वभाव के होते हैं ऐसे लो ख्यालों में रहते हैं और मेहनत नहीं करना चाहते। कुंडली में गुरु की दशा कमजोर होती है तो जातक के आलस में बढ़ोत्तरी होती है।
आलस्य दूर करने का उपाय—
किसी भी तरह से चंदन का इस्तेमाल व्यक्ति के आलस को दूर करने में मदद करता है राहु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए शुक्रवार और रविवार को भैरव बाबा की पूजा करें। रंगों का भी व्यक्ति के जीवन पर विशेष प्रभाव पड़ता है स्वंय को एक्टिव रखने के लिए अधिक से अधिक नारंगी रंग का प्रयोग करें।