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मांगलिक दोष है या फिर योग, कैसे करें पहचान

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हर व्यक्ति के जीवन में ग्रह नक्षत्र और कुंडली का अधिक महत्व होता है हिंदू धर्म में बिना कुंडली मिलान के शादी विवाह नहीं किया जाता है शादी लायक युवक और युवती की कुंडली मिलान की जाती है जिसमें 36 गुणों का मिलन शुभ माना जाता है इन्हीं कुंडली मिलान के क्रिया में व्यक्ति इस बात से भयभीत रहता है कि कहीं उसकी राशि में मांगलिक दोष न हो।  मांगलिक दोष का होना अच्छा नहीं माना जाता है मान्यता है कि कुंडली में अगर मांगलिक दोष होता है तो इससे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है

ज्योतिष अनुसार मांगलिक का आपके कुंडली में होना मात्र दोष ही नहीं कहा जा सकता है बल्कि इसे दोषी अन्य परिस्थिति भी बनाती है कई परिस्थिति में मांगलिक होना शुभ योग मना जाता है मांगलिक दोष को मिटाने के लिए ज्योतिष में कई सारे उपाय भी बताए जाते हैं जिससे मांगलिक दोष का प्रभाव कम हो सके और व्यक्ति अपना जीवन खुशी से जी सके। तो आज हम अपने इस लेख में मांगलिक दोष से जुड़ी चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

ज्योतिष अनुसार जब किसी जातक की कुंउली में लग्न की दृष्टिकोण में मंगल का स्थान पहले, दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या फिर बारहवें स्थान पर होता है तो उसे मांगलिक दोष से ग्रस्त माना जाता है। वही सतमंगली दोष को ज्योतिषशास्त्र में जानलेवा दोष माना जाता है विवाह के नजरिएं से अगर जातक की कुंडली में मंगल का स्थान सातवें स्थान पर होता है तो उसे आपके और आपके जीवनसथी के लिए हानिकारक माना जा सकता है। 

जानिए मांगलिक दोष है या फिर योग—
ज्योतिष की मानें तो अगर दोंनों लड़का लड़की जो शादी के अनमोल बंधन में बंधना चाहते हैं और दोनों की कुंडली में मांगलिक दोष बन रहा है तो उसे मांगलिक योग भी कहा जा सकता है क्योंकि दोनों की राशि मांगलिक दोष की उपस्थिति होना। इसके अतिरिक्त कहा गया है कि अगर वर वधु दोनों के 36 गुणों में से 27 या उससे अध्कि गुणों का मिलन हो रहा है तो मांगलिकदोष नहीं योग माना जाएगा। अगर जातक की कुंडली में मंगल स्वराशि का हो या फिर उच्च का होकर मित्र घर में विराजमान हो तो भी मांगलिकदोष निष्प्रभावली हो जाता है, ऐसे में लड़क लड़की विवाह के शुभ बंधन में बंध सकते हैं।