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कैसे और कहां हुआ था भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी का विवाह

 

ज्योतिष न्यूज़ डेस्क: हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों की कमी नहीं है श्रीकृष्ण को जगत के पालनहार भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने अहम भूमिका निभाई और विभिन्न लीलाएं अपने जीवन काल में दिखाई जब भी सच्चे प्रेम की बात होती है मन में राधा कृष्ण की तस्वीर उभर कर सामने आती है लेकिन राधा, कान्हा की धर्मपत्नी नहीं बन पाई।

शास्त्रों और पुराणों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की कई रानियां थी जिनमें उनकी पहली पत्नी रुक्मिणी देवी थी। देवी रुक्मिणी और भगवान श्रीकृष्ण के विवाह की कथा बड़ी ही रोचक है तो आज हम अपने इस लेख द्वारा रुक्मिणी और श्रीकृष्ण के विवाह की कथा पर चर्चा कर रहे हैं तो आइए जानते हैं। 

जानिए भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मिणी देवी की विवाह कथा—
शास्त्र और पुराणों के अनुसार विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मिणी बुद्धिमान, सुंदर और सरल स्वभाव वाली थी। पुत्री के विवाह के लिए पिता भीष्मक योग्य वर की तलाश कर रहे थे राजा के दरबार में जो कोई भी आता वह श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की प्रशंसा करता। कृष्ण की वीरता की कहानियां सुनकर देवी रुक्मिणी ने उन्हें मन ही मन अपना पति मान लिया और तय कर लिया की वो श्रीकृष्ण से ही विवाह करेंगी। वही राजा भीष्मक के पुत्र रुक्म का खास मित्र चेदिराज शिशुपाल, रुक्मिणी से विवाह करने का इच्छुक था रुक्म के कहने पर राजा ने शिशुपाल से देवी रुक्मिणी का विवाह तय कर दिया मगर रुक्मिणी कृष्ण के अलावा किसी को अपना पति स्वीकार नहीं करना चाहती थी

रुक्मिणी ने अपनी कान्हा के प्रति प्रेम की बात एक संदेश के द्वारा भगवान श्रीकृष्ण तक पहुंचाई। जब इस बात का पता श्रीकृष्ण को चला तो रुक्मिणी को संकट में देख वह विदर्भ राज्य पहुंच गए। श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी के बारे में बहुत कुछ सुना था। वही जब शिशुपाल रुक्मिणी से विवाह करने के लिए द्वार पर आया तो श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर लिया इसके बाद श्रीकृष्ण, शिशुपाल और रुक्म के बीच भयंकर युद्ध हुआ और इसमें भगवान श्रीकृष्ण विजयी हुए। जिसके बाद श्रीकृष्ण रुक्मिणी को द्वारकाधीश लेकर आए और यहीं पर उनका विवाह संपन्न कराया गया था।