26 या 27! कब है हरियाली तीज, यहां जानिए पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और रवियोग का संयोग
हरियाली तीज 2025 का पर्व रवियोग में 27 जुलाई को मनाया जाएगा। यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में व्रत, पूजा और लोक आनंद के रूप में मनाया जाता है। विशेषकर सुहागिनें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। ज्योतिषी और टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा बताती हैं कि यह वही तिथि है जब माता पार्वती को उनकी तपस्या का फल मिला था और उनका भगवान शिव से पुनर्मिलन हुआ था।
इस वर्ष हरियाली तीज क्यों है खास? शिव-पार्वती मिलन और श्रृंगार का पर्व, रवियोग
दिनांक: 27 जुलाई 2025, रविवार
व्रत मुहूर्त: उदया तिथि - 27 जुलाई को मान्य
रवि योग: 27 जुलाई को शाम 4:23 बजे से प्रारंभ होकर 28 जुलाई को सुबह 5:40 बजे तक रहेगा
श्रृंगार और सौंदर्य: हरे वस्त्र, हरी चूड़ियाँ, मेहंदी और आलता का विशेष महत्व
धार्मिक महत्व: अखंड सौभाग्य, मनचाहा वर और शिव-पार्वती जैसा प्रेम
पूजा विधि और कथा: ऐसा क्यों कहा जाता है कि इसी तीज पर पार्वती का शिव से मिलन हुआ था?
जैसा कि शिव पुराण में वर्णित है- 'हे पार्वती! इस तृतीया पर तुम्हारे द्वारा किए गए कठोर तप के फलस्वरूप हमारा विवाह संभव हुआ। जो स्त्री श्रद्धापूर्वक इस व्रत को करती है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।'
पूजा विधि:
घर की सफाई के बाद, मंडप और तोरण द्वार सजाएँ।
मिट्टी से शिव, पार्वती, गणेश और सखियों की मूर्तियाँ बनाएँ।
गंगाजल मिश्रित जल से अभिषेक करें।
सुहाग सामग्री की थाली तैयार करें।
षोडशोपचार पूजन करें और तीज व्रत कथा पढ़ें या सुनें।
रात्रि जागरण और कीर्तन करें।
नवविवाहितों के लिए यह तीज सबसे खास क्यों है?
सिंधारा क्या होता है?
पहली तीज: शादी के बाद पहली हरियाली तीज पर ससुराल से एक विशेष सिंधारा आता है।
सिंधारे में होता है: हरे वस्त्र, मेहंदी, मिठाई, फेनी, घेवर, श्रृंगार सामग्री।
परंपरा: सास के पैर छूकर सुहाग देना, या अगर सास घर पर न हो तो जेठानी को देना।
लोक अनुष्ठान: खेतों और बगीचों में झूले डालना, सावन के गीत गाना, मेहंदी और आलता लगाना।
हरियाली तीज प्रकृति, प्रेम और स्त्री ऊर्जा से क्यों जुड़ी है?
हरियाली तीज केवल एक व्रत या पूजा नहीं है, यह स्त्रीत्व, प्रकृति और पुनर्जन्म जैसे प्रेम का उत्सव है। जब सावन की हरियाली चारों ओर फैलती है, तो महिलाओं की सौंदर्य ऊर्जा और भक्ति शक्ति इस त्योहार को एक दिव्य आयाम प्रदान करती है।
हरियाली तीज 2025 केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रेम की पुनः पुष्टि है। इसी दिन पार्वती को तपस्या का फल मिला था और तब से यह व्रत हर स्त्री के हृदय में शाश्वत सुख और प्रेम के लिए जीवित है।