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अनोखा मंदिर, मां को खुश करने के लिए खेली जाती है खून की होली

 

भारत के दक्षिणी राज्य केरल में अनेक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, लेकिन त्रिशूर जिले में स्थित कोडुंगल्लूर देवी मंदिर (Kodungallur Bhagavathy Temple) अपनी अनोखी परंपराओं और रहस्यमय मान्यताओं के लिए पूरे देश में एक अलग स्थान रखता है। इसे श्री कुरंबा भगवती मंदिर (Sri Kurumba Bhagavathy Temple) के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में मां भद्रकाली की पूजा की जाती है, जिन्हें स्थानीय लोग कोडुंगल्लूर अम्मा या कुरंबा कहकर पुकारते हैं।

अद्भुत परंपरा: अपशब्दों से होती है देवी प्रसन्न

कोडुंगल्लूर मंदिर को सबसे अनोखा बनाता है इसकी एक परंपरा, जिसके तहत भक्त देवी को अपशब्द बोलते हैं। यह सुनकर चौंकना स्वाभाविक है, लेकिन मान्यता है कि देवी भद्रकाली इन शब्दों से प्रसन्न होती हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है और भरानी उत्सव के दौरान इसका विशेष महत्व होता है।

कोडुंगल्लूर मंदिर का इतिहास: परशुराम और दारुका दैत्य से जुड़ी कथा

इस मंदिर का इतिहास भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि केरल में एक समय दारुका नामक राक्षस लोगों को बहुत परेशान कर रहा था। तब परशुराम ने भगवान शिव से मदद मांगी और शिव के आदेश पर देवी भद्रकाली को इस स्थान पर स्थापित किया गया। मां ने प्रसन्न होकर दारुका का वध किया और लोगों को मुक्ति दिलाई।

मंदिर का त्यौहार: रक्त समर्पण और लाठी पीटने की अनूठी रस्म

कोडुंगल्लूर मंदिर का सबसे प्रसिद्ध उत्सव भरानी उत्सव है, जो हर साल मार्च-अप्रैल में मनाया जाता है। इस त्यौहार में भक्त देवी को रक्त समर्पित करते हैं। वेलिचप्पड कहे जाने वाले लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर हाथों में तलवार लिए मंदिर परिसर में दौड़ते हैं और अपने शरीर को काटकर देवी को रक्त अर्पित करते हैं। इस त्यौहार में मंदिर की छत और दीवारों को लाठियों से पीटा जाता है। यह रस्म यह विश्वास लेकर निभाई जाती है कि इससे देवी भद्रकाली प्रसन्न होती हैं। हालांकि अब इन परंपराओं को नियंत्रित और सुरक्षित तरीके से संपन्न कराया जाता है।

बदलती परंपराएं: बलि की प्रथा अब इतिहास

पहले इस मंदिर में जानवरों की बलि चढ़ाने की परंपरा थी, लेकिन अब सरकार के हस्तक्षेप के बाद यह प्रथा बंद हो चुकी है। आज भक्त मां को सोना-चांदी और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं अर्पित करते हैं।