द्वारकाधीश मंदिर में क्यों बंद रहती है भगवान कृष्ण की मूर्ती की आंखें ? इस पौराणिक रहस्य को जान चौंक जाएंगे आप
देशभर में देवी-देवताओं को समर्पित कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य या अन्य कारणों से प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा, कुछ मंदिर अपनी वास्तुकला और भव्य संरचना के लिए जाने जाते हैं। इन्हीं में से एक है गुजरात के द्वारका में स्थित भगवान कृष्ण को समर्पित द्वारकाधीश मंदिर। धार्मिक मान्यता है कि द्वापर युग में द्वारकाधीश मंदिर भगवान कृष्ण का निवास स्थान था, जिसे हरि गृह के नाम से जाना जाता था। इस मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति विराजमान है, लेकिन उनकी आंखें (द्वारकाधीश की आंखों का रहस्य) बंद हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वे सुदामा की गरीबी नहीं देख सकते थे। आइए पढ़ते हैं इससे जुड़ी कथा के बारे में।
यह है कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, द्वारका नगरी के राजा भगवान कृष्ण को एक बार समाचार मिला कि उनके भक्त सुदामा जीवन में बहुत गरीबी का सामना कर रहे हैं। यह सुनकर भगवान अपने परम भक्त से मिलने उनके घर पहुँचे। सुदामा श्रीकृष्ण को घर पर देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने भगवान को कुछ खिलाने का सोचा, लेकिन उनके घर पर कुछ भी नहीं था। ऐसे में सुदामा की पत्नी सुशीला ने चावल पीसकर श्री कृष्ण को खिलाए। भगवान दोनों की भक्ति देखकर बहुत प्रसन्न हुए और उन्हें धन-धान्य में वृद्धि का आशीर्वाद दिया। इसके बाद कृष्ण जी द्वारका नगरी लौट आए। इस दौरान उन्होंने अपने बचपन के मित्र सुदामा की गरीबी के बारे में सोचते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं। इस कारण भगवान को ऐसी स्थिति में रहना पड़ा। सुदामा की गरीबी के कारण श्री कृष्ण ने निश्चय किया कि वे जीवन में कभी किसी की गरीबी नहीं देखेंगे। इस कारण भगवान ने हमेशा के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं।
भगवान द्वारकाधीश की बंद आँखों से जुड़े रोचक तथ्य
भगवान द्वारकाधीश की बंद आँखों को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान मंदिर में आने वाले भक्त पर अपना प्रेम बरसाते हैं।भगवान द्वारकाधीश की बंद आँखें महानता को दर्शाती हैं।
द्वारकाधीश मंदिर की क्या विशेषता है?
यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर चालुक्य शैली की वास्तुकला पर आधारित है। द्वारकाधीश मंदिर के कपाट सुबह 6:30 बजे खुलते हैं और रात 9:30 बजे बंद हो जाते हैं।