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 दुनिया में फैला था कोरोना से भी खतरनाक वायरस, चली गई थी 10 करोड़ से ज्यादा लोगों की जान

 

चीन के कोरोना वायरस से पूरी दुनिया में खौफ है। इस वायरस के कारण अकेले चीन में दिसंबर से अब तक 1700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं यह वायरस अब तक 20 से ज्यादा देशों में फैल चुका है। लेकिन यह पहली बार नहीं है जब किसी फ्लू या वायरस के कारण दुनिया में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान गई हो। अगर हम इतिहास में जाएं तो वर्ष 1918-1920 के बीच एक फ्लू के कारण पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया था। इस फ्लू के कारण 10 करोड़ से अधिक लोगों की जान चली गई। यह बहुत बड़ा आंकड़ा था क्योंकि उस समय दुनिया की जनसंख्या इतनी बड़ी नहीं थी।

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वर्ष 1918 में एक भयानक इन्फ्लूएंजा वायरस ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया था। इस वायरस को स्पैनिश फ्लू कहा गया और अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में ही इसके कारण 675,000 लोग मारे गये। इतना ही नहीं, वर्ष 1918 के अक्टूबर महीने में इस स्पैनिश फ्लू के कारण लगभग 200,000 अमेरिकियों की मौत हो गई थी। उस दौरान इस फ्लू का इतना खौफ था कि लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई थी, इतना ही नहीं लोगों को अंतिम संस्कार में शामिल होने और किसी की मौत पर शोक मनाने पर भी रोक लगा दी गई थी।

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इस फ्लू का सबसे भयावह प्रकोप फिलाडेल्फिया में देखा गया, जहां इस महामारी के कारण प्रतिदिन 1,000 लोग मरते थे। फिलाडेल्फिया के एक शहर के मुर्दाघर में केवल 36 शवों को रखने की जगह थी, लेकिन इस दौरान करीब 500 शव लाए गए जिसके कारण मुर्दाघर में काफी भीड़ हो गई। इसके लिए प्रशासन ने शहर में अस्थायी मुर्दाघर बनाए, जिनमें शव रखे गए। इस दौरान कई लोगों को एक साथ दफनाया जा रहा था।

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फिलाडेल्फिया और शिकागो सहित कई शहरों में सार्वजनिक अंत्येष्टि पर प्रतिबंध लगा दिया गया। आयोवा में सार्वजनिक अंत्येष्टि और यहां तक ​​कि ताबूत खोलने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। अपवादस्वरूप, सैनिकों के परिवारों को उनकी पहचान के लिए दफनाने से पहले उनके ताबूत खोलने की अनुमति दी गई थी। लेकिन इसमें भी एक शर्त थी कि वह सिर्फ ताबूत ही खोल सकता था। इस दौरान वह अपने मुंह और नाक को मास्क से ढकते थे और अपने शरीर को छूने से बचते थे।

1918 की स्पैनिश फ्लू महामारी को मानव इतिहास की सबसे घातक महामारी माना जाता है। इस फ्लू ने विश्व भर में अनुमानतः 500 मिलियन लोगों को संक्रमित किया, जो उस समय विश्व की जनसंख्या का लगभग एक-तिहाई था। 1918 फ्लू यह फ्लू सबसे पहले यूरोप में फैला जिसके बाद यह तेजी से संयुक्त राज्य अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में फैल गया। उस समय इस फ्लू के इलाज के लिए कोई प्रभावी दवा या टीका उपलब्ध नहीं था। नागरिकों को मास्क पहनने का आदेश दिया गया, स्कूल, सिनेमाघर और व्यवसाय बंद कर दिए गए और वायरस फैल गया।