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जिसे मामूली जुकाम समझ महिला ने किया इग्नोर, वो निकली घातक बीमारी, सच्चाई जान उड़े होश

 

इंग्लैंड की एक 50 वर्षीय महिला, नादिया बिशप, ने एक साधारण जुकाम को नजरअंदाज कर अपनी सुनने की क्षमता खो दी। यह घटना न केवल उनकी जिंदगी के लिए एक भयावह मोड़ साबित हुई, बल्कि अब वह दूसरों को जागरूक करने का काम भी कर रही हैं ताकि लोग अपनी सेहत को हल्के में न लें। यह कहानी एक चेतावनी है कि स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी छोटी सी समस्या को नजरअंदाज करना कितना महंगा पड़ सकता है।

नादिया बिशप की यह घटना स्विंडन, इंग्लैंड की है, जहां एक साधारण जुकाम ने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। शुरुआत में उन्हें सिरदर्द और हल्के जुकाम के लक्षण महसूस हुए थे, जो उन्होंने आम समझकर नजरअंदाज कर दिए। लेकिन धीरे-धीरे इन लक्षणों ने गंभीर रूप ले लिया और उन्हें चक्कर आने, उल्टी होने और सुनाई न देने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा। इन सबका नादिया ने कोई गंभीर कारण नहीं समझा और यह मान लिया कि यह सिर्फ एक सामान्य बिमारी के कारण हो रहा है।

लेकिन अप्रैल 2017 में एक दिन नादिया की स्थिति गंभीर हो गई। अचानक उन्हें तेज चक्कर आने लगे, उल्टियां हुईं, पसीना आ गया और कानों में तेज सनसनाहट महसूस होने लगी। इस दौरान नादिया को ऐसा महसूस हुआ जैसे अब वह नहीं बच पाएंगी, जैसे उनकी सांसें थम जाएंगी और सब खत्म हो जाएगा। किसी तरह नादिया ने अपने आईफोन पर Siri की मदद से SOS कॉल लगाया, जिससे पैरामेडिकल टीम ने तुरंत उनकी मदद की। एंटी-नॉजिया इंजेक्शन के बाद उनकी स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ, लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें लैबिरिंथाइटिस (Labyrinthitis) नामक बीमारी है, जो कान के भीतर सूजन से उत्पन्न होती है।

लैबिरिंथाइटिस से नादिया की सुनने की क्षमता प्रभावित हो गई, लेकिन जब उनका इलाज जारी था, तब डॉक्टरों ने बताया कि उन्हें मेनीयर रोग (Ménière’s Disease) है। यह एक लाइलाज बीमारी है, जो धीरे-धीरे कान के अंदर के तरल पदार्थों के असंतुलन से उत्पन्न होती है और इसके कारण चक्कर आना, उल्टियां, सुनाई न देना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। अब नादिया को हर तीन महीने में स्टेरॉयड इंजेक्शन लेना पड़ता है और उन्हें एक हियरिंग डिवाइस की मदद से सुनाई देता है। इसके अलावा, चक्कर आना और उल्टी होना अब उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है।

लेकिन, एक सकारात्मक पहलू यह है कि डॉक्टरों ने नादिया के लिए एक सर्जरी का प्लान तैयार किया है, जिससे उनके कान से फ्लूइड को निकालकर उन्हें राहत दी जा सकती है। नादिया अब साइन लैंग्वेज सीख रही हैं और हियरिंग एड के बारे में जागरूकता फैलाने का काम कर रही हैं। उनका उद्देश्य यह है कि लोग उनके अनुभव से सीखें और किसी भी छोटी बीमारी को हल्के में न लें। वह अब अपनी कहानी सोशल मीडिया पर साझा करती हैं, और उनके जज्बे को देखकर लोग उन्हें सराहते हैं। नादिया का मानना है कि उनकी कहानी दूसरों को यह समझाने का एक जरिया बन सकती है कि अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहना कितना महत्वपूर्ण है।

नादिया बिशप की कहानी यह सिखाती है कि किसी भी स्वास्थ्य समस्या को हल्के में नहीं लेना चाहिए। हमें अपने शरीर में होने वाले छोटे से छोटे बदलावों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी वे एक बड़ी बीमारी का संकेत होते हैं। नादिया ने जो अनुभव किया, उससे यह साफ है कि यदि उन्होंने शुरुआत में इस समस्या को गंभीरता से लिया होता, तो शायद उनकी सुनने की क्षमता अब इतनी प्रभावित न होती।

आज नादिया अपनी कठिनाइयों के बावजूद न केवल अपनी स्थिति को स्वीकार कर रही हैं, बल्कि वह दूसरों को भी जागरूक कर रही हैं। वह सोशल मीडिया का इस्तेमाल करती हैं ताकि लोग हियरिंग एड, मेनीयर रोग और लैबिरिंथाइटिस जैसी समस्याओं के बारे में जान सकें। उनकी कहानी यह साबित करती है कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद अगर हमारी नीयत सही हो और हम दूसरों की मदद करने के लिए तैयार हों, तो हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं।

इस घटना से हमें यह सीखने को मिलता है कि अपनी सेहत को नजरअंदाज करना किसी भी स्थिति में उचित नहीं होता। छोटी से छोटी बीमारी को भी समय पर पहचानना और उसका इलाज करवाना जरूरी है, ताकि भविष्य में हमें बड़ी समस्याओं का सामना न करना पड़े।