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क्या है राजस्थान के इस रहस्यमय मंदिर का डरावना रहस्य? 2 मिनट के वीडियो में जानिए क्यों लोग इसे जाने से करते हैं मना

 

हमारा भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां आपको रंग, जाति, धर्म, भाषा के कई स्तरों पर अलग-अलग लोग मिलेंगे, लेकिन जो चीज इन सभी को एक करती है, वह है भारत की सांस्कृतिक विरासत, जो विविधता में एकता की मान्यता पर आधारित है। यही एक बड़ी वजह है कि कई हिंदू दरगाह पर चादर चढ़ाने जाते हैं, वहीं कई मुस्लिम भाई भी हिंदू मंदिरों में प्रसाद चढ़ाते हैं। भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जहां अलग-अलग धर्म और संप्रदाय के लोग श्रद्धा के साथ भगवान के दर्शन करने जाते हैं। क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां लोग जाने से डरते हैं। इस मंदिर का नाम है किराडू। इसे लेकर कई मान्यताएं हैं, जिसके चलते सूर्यास्त के बाद मंदिर के आसपास कोई नजर नहीं आता। इसी वजह से इस रहस्यमयी मंदिर की चर्चा देश-दुनिया में होती है। इसी सिलसिले में आइए जानते हैं किराडू मंदिर के रहस्य के बारे में-

<a href=https://youtube.com/embed/LGzqgQk5ie0?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/LGzqgQk5ie0/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="पवित्र शिवरात्रि व्रत कथा | सुपरफास्ट शिवरात्रि व्रत कथा | Shivratri Vrat Katha" width="695">
किराडू मंदिर राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है। इस मंदिर का डर लोगों में इतना व्याप्त है कि शाम के समय कोई भी इसके आसपास नहीं भटकता। रात के समय मंदिर के आस-पास कोई भी दिखाई नहीं देता है। राजस्थान के इस रहस्यमयी मंदिर की वास्तुकला भारत की दक्षिणी शैली में बनी हुई है।

अगर इस मंदिर के इतिहास की बात करें तो स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि कई साल पहले एक सिद्ध साधु अपने शिष्यों के साथ इस स्थान पर आए थे। एक दिन साधु अपने शिष्यों को छोड़कर कहीं भ्रमण के लिए चले गए। उसी दौरान उनका एक शिष्य बीमार पड़ गया। यह देख बाकी शिष्यों ने स्थानीय लोगों से मदद मांगी, लेकिन किसी ने उनकी मदद नहीं की।

बाद में जब साधु अपने आश्रम लौटे तो उन्हें इस घटना के बारे में पता चला। इससे वे क्रोधित हो गए और उन्होंने सभी गांव वालों को श्राप दे दिया कि सूर्यास्त के बाद गांव के सभी लोग पत्थर में बदल जाएंगे। हालांकि स्थानीय लोगों के मुताबिक गांव की एक महिला ने उस बीमार शिष्य की मदद की थी।

इसी वजह से श्राप देने से पहले साधु ने कहा था कि वह सूर्यास्त से पहले गांव छोड़कर चली जाए और पीछे मुड़कर न देखे। हालांकि उस महिला ने साधु की बात को गंभीरता से नहीं लिया और उसने पीछे मुड़कर देखा। इसके कारण वह भी पत्थर में बदल गई। यही कारण है कि मंदिर से कुछ दूरी पर उस महिला की मूर्ति बनाई गई है। यही एक बड़ा कारण है कि सूर्यास्त के बाद कोई भी मंदिर के पास नहीं जाता।