भानगढ़ के बाद ये है राजस्थान का दूसरा सबसे भूतिया किला, रानियों के लिए बनी इस इमारत की कहानी जान डर से कांप जाएगा रोम-रोम
जयपुर अपने शानदार ऐतिहासिक किलों, महलों और ऐतिहासिक इमारतों के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है, लेकिन कुछ किले और महल ऐसे भी हैं जिनके निर्माण की दिलचस्प कहानियां बहुत मशहूर हैं. जयपुर का ऐसा ही एक खूबसूरत किला है नाहरगढ़ किला जो अरावली पर्वत पर 700 फीट की ऊंचाई पर बना है। इन तस्वीरों के साथ जानिए इस किले के इतिहास की दिलचस्प कहानी...
इस किले का निर्माण जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 1734 में करवाया था। उस समय इसे बनाने में 3 लाख रुपए से भी ज्यादा खर्च हुए थे। इस किले की संरचना और डिजाइन में इंडो-यूरोपियन कला को देखा जा सकता है। आपको बता दें कि कुछ इतिहासकारों के अनुसार जयपुर के लोग इस किले को सुलक्षण दुर्ग, सुदर्शन गढ़, टाइगर फोर्ट, जयपुर ध्वज गढ़, महलों का दुर्ग और मीठे का किला के नाम से भी पुकारते हैं। कुछ विदेशी पर्यटक इसे टाइगर फोर्ट भी कहते हैं। इस किले को इस तरह से बनाया गया है कि एक ही गलियारे के जरिए पूरे किले में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचा जा सकता है।
साथ ही ऊपर से आप पूरे जयपुर शहर का भव्य नजारा देख सकते हैं। यह किला अपने सूर्यास्त के लिए काफी मशहूर है। इस किले के हर हिस्से में कुछ न कुछ खास है, इसलिए इस किले में कई बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। आपको बता दें कि नाहरगढ़ किला बाहर से जितना खूबसूरत है, अंदर से भी उतना ही भव्य है। इस किले में महल के रूप में 9 अलग-अलग कमरे हैं जिनकी वास्तुकला एक जैसी है। एक समय में नाहरगढ़ किला, आमेर और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर और आमेर की सुरक्षा के लिए अभेद्य किले के रूप में काम करता था। बाद में 1868 में सवाई राम सिंह ने किले के अंदर और निर्माण और विस्तार करवाया। साथ ही इस किले की एक बड़ी खासियत यह है कि इस पर कभी हमला नहीं हुआ। कहा जाता है कि यह इतनी ऊंचाई पर बना है कि किसी दुश्मन ने इस पर हमला करने के बारे में सोचा भी नहीं बाद में राजा ने एक तांत्रिक से मिलकर उपाय निकाला और फिर किले का निर्माण शुरू किया गया.
इसीलिए लोग इस किले को भूतहा जगह और डरावना किला भी कहते हैं. किले में खूबसूरत महल, बावड़ी, मंदिर जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं जो भव्यता से कम नहीं हैं. आपको बता दें कि इस किले के निर्माण के पीछे एक दिलचस्प कहानी है, जिसे सुनने के बाद लोगों को यकीन नहीं होता कि ऐसा भी कुछ हो सकता है. इस किले के बारे में कहा जाता है कि इस किले की दीवारें दिन में बनती थीं और रात में गिर जाती थीं. यह किला 18वीं सदी में मराठा सेनाओं से संधि करने की ऐतिहासिक घटना का भी गवाह रहा है. यह किला इतना भव्य और बड़ा है कि इसे देखने के लिए 2-3 घंटे का समय लगता है, तब आप इस किले को पूरा देख सकते हैं. मौसम कोई भी हो, इस किले को देखने के लिए दुनिया भर से लोग यहां आते हैं.