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भगवान गणेश के इस मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने की है परंपरा, जानिए क्या है इसके पीछे

 

भारत में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान देशभर में भगवान गणेश के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है, जहां गणेश चतुर्थी पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस मंदिर में भक्त उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं, जिसे शुभ माना जाता है।

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अक्सर स्वास्तिक को हिंदू धर्म में शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश भक्तों की सभी बाधाओं को दूर कर उनका कल्याण करते हैं।

मंदिर की पौराणिक मान्यता

इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में एक संत ने यहां तपस्या की थी और उन्हें भगवान गणेश के इस स्वरूप के दर्शन प्राप्त हुए थे। तब से यहां उल्टा स्वास्तिक बनाकर गणपति की पूजा की जाती है।

मंदिर का इतिहास और स्थापत्य कला

यह मंदिर अपने भव्य निर्माण और सुंदर नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। इसकी दीवारों पर अद्भुत चित्रकारी की गई है, जो इसे धार्मिक ही नहीं, ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण बनाती है। यह मंदिर सदियों पुराना है और समय के साथ इसकी ख्याति और भी बढ़ती गई है।

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धार्मिक अनुष्ठान और आयोजन

गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हजारों भक्त मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। इस दौरान भजन-कीर्तन और विशेष आरती का आयोजन किया जाता है।

श्रद्धालुओं की मान्यता

ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। लोग यहां अपनी समस्याओं के समाधान के लिए आते हैं और उल्टा स्वास्तिक बनाकर भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगते हैं। यह परंपरा भक्तों की आस्था और विश्वास को और मजबूत बनाती है।

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निष्कर्ष

भगवान गणेश के इस अनोखे मंदिर में उल्टा स्वास्तिक बनाने की परंपरा भक्तों के बीच विशेष स्थान रखती है। धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण यह मंदिर हर साल हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अगर आप गणेश चतुर्थी के मौके पर किसी खास जगह की यात्रा करना चाहते हैं, तो इस मंदिर में जरूर जाएं।