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दुनिया में सबसे महंगे बिकते हैं इस जानवर के आंसू, 26 तरह के जहरीले सांपों के जहर की काट है एक बूंद

 

हर साल भारत समेत दुनिया के कई देशों में सांपों के काटने से हजारों मौतें होती हैं। खासकर किंग कोबरा, रसेल वाइपर और करैत जैसे सांपों के काटने से कुछ ही पलों में जान चली जाती है। इनका जहर इतना तेज़ होता है कि समय पर सही इलाज नहीं मिले तो बचना मुश्किल हो जाता है। लेकिन अब उम्मीद की एक नई किरण सामने आई है – ऊंट के आंसू।

NRCC की रिसर्च में यह साबित हुआ कि ऊंट के आंसुओं में विशेष प्रकार की एंटीबॉडी मौजूद होती हैं, जो सांप के जहर के असर को प्रभावी रूप से निष्क्रिय कर सकती हैं।

 कैसे हुई रिसर्च?

NRCC के वैज्ञानिकों ने ऊंटों को सॉ-स्केल्ड वाइपर जैसे खतरनाक सांप का जहर दिया और फिर उनके आंसुओं और ब्लड सैंपल्स की जांच की। जांच में यह सामने आया कि ऊंट के शरीर ने उस जहर के खिलाफ एंटीबॉडीज बना लीं, और उस जहर के असर को रोक दिया।

यह प्रयोग कई बार दोहराया गया और हर बार परिणाम सकारात्मक रहे। अब यह साबित हो चुका है कि ऊंट के आंसू सिर्फ नमकीन जल नहीं, बल्कि प्राकृतिक जीवनरक्षक सीरम हैं।

 अन्य देशों के रिसर्च ने भी की पुष्टि

  • लिवरपूल स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन की एक रिसर्च में भी यह बात मानी गई कि ऊंट के आंसुओं से सांप के जहर की दवा बनाई जा सकती है।

  • दुबई की सेंट्रल वेटरनरी रिसर्च लेबोरेटरी ने भी पाया कि ऊंट की इम्युनिटी बेहद मजबूत होती है और उससे निकली एंटीबॉडीज ज़हर से लड़ने में सक्षम हैं।

क्यों खास है ऊंट से बना एंटीवेनम?

  1. कम एलर्जिक रिएक्शन: घोड़े से तैयार किए गए एंटीवेनम में जहां एलर्जी की शिकायतें ज़्यादा होती हैं, वहीं ऊंट से बने एंटीवेनम से यह खतरा बेहद कम हो जाता है।

  2. ज्यादा असरदार: ऊंट के आंसुओं से बना एंटीवेनम 26 तरह के जहरीले सांपों के जहर को निष्क्रिय करने में सक्षम है।

  3. सस्ती प्रक्रिया: ऊंट से एंटीबॉडी निकालना आसान और किफायती है। इससे दवाओं की लागत भी कम आएगी।

 किसानों के लिए वरदान बनी रिसर्च

NRCC अब ऊंट पालकों से संपर्क कर रहा है और उन्हें आंसू व ब्लड सैंपल देने के लिए आमंत्रित कर रहा है। इसके बदले किसानों को प्रति ऊंट 5 से 10 हजार रुपये महीना मिल रहा है। यह एक नया राजस्व स्रोत बन सकता है, खासकर राजस्थान, गुजरात और अन्य ऊंटपालक क्षेत्रों में।

 ऊंट के आंसुओं की कीमत क्यों है सबसे ज्यादा?

  • किसी भी जानवर के आंसुओं में इतनी जटिल और प्रभावशाली एंटीबॉडी नहीं होतीं।

  • ऊंट का आंसू केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही नहीं बल्कि व्यावसायिक रूप से भी बेहद कीमती हो चुका है।

  • आने वाले समय में ऊंट के आंसू दुनिया के सबसे महंगे जैविक पदार्थों में गिने जा सकते हैं।

 क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

NRCC के वरिष्ठ वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर विकसित हो जाए तो भारत जैसे देश में, जहां हर साल 50 हजार से ज़्यादा लोग स्नेकबाइट से मरते हैं, उनके लिए ये जीवनदान हो सकता है।