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अनोखी है पिलुआ के हनुमान जी की कहानी, भक्तों का खाते हैं प्रसाद, सांस लेते समय जपते हैं भदवान राम का नाम

 

भारत देश अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ऐसी अनेक कथाएं और मंदिर हैं जो अपने अद्भुत चमत्कारों और रहस्यों के कारण भक्तों की आस्था का केंद्र बने हुए हैं। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के बीहड़ों में स्थित पिलुआ महावीर मंदिर ऐसे ही मंदिरों में से एक है। यह मंदिर महाभारत कालीन सभ्यता से जुड़ा हुआ माना जाता है और यहां स्थापित हनुमान जी की मूर्ति अपनी जीवंतता और चमत्कारों के कारण पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है।

बंजरगबली के चमत्कारों की अमर कथाएं

पवनपुत्र हनुमान, जिन्हें बंजरगबली के नाम से भी जाना जाता है, के चमत्कारों के किस्से सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध हैं। इस मंदिर की हनुमान प्रतिमा सैकड़ों वर्षों से ऐसा प्रभावशाली और रहस्यमय स्वरूप लिए हुए है कि भक्तों को ऐसा लगता है मानो भगवान स्वयं यहां जीवित स्वरूप में विराजमान हैं। इस मूर्ति के चमत्कारिक पहलुओं ने हजारों श्रद्धालुओं का विश्वास पक्का किया है और हर कोई इस अद्भुत शक्ति का अनुभव करने के लिए यहां आता है।

बुढ़वा मंगल पर लाखों श्रद्धालुओं का जमघट

हर साल उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, और राजस्थान से करीब तीन लाख से अधिक हनुमान भक्त बुढ़वा मंगल के अवसर पर इस पवित्र मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। मंगलवार को आने वाला यह बुढ़वा मंगल दिन मंदिर के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन मंदिर को भव्यता से सजाया जाता है और आसपास के क्षेत्रों से भक्त भारी संख्या में दर्शन करने आते हैं। यह अवसर भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत बन जाता है।

हनुमान जी की मूर्ति और उसके रहस्यमय चमत्कार

यहां की हनुमान जी की प्रतिमा खासतौर पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके लेटी हुई है। इस मूर्ति के मुख में सदैव पानी भरा रहता है, और जितना भी प्रसाद उसमें डाला जाता है, वह पूरी तरह उस मूर्ति के मुख में समा जाता है। आज तक कोई भी यह नहीं जान पाया कि यह प्रसाद आखिर कहां चला जाता है। इस मूर्ति की सांस लेने की आवाज़, राम नाम की ध्वनि और पानी के बुलबुले निकलने जैसी घटनाएं कई भक्तों ने देखी और सुनी हैं। भक्त मानते हैं कि हनुमान जी इस मंदिर में जीवित हैं और निरंतर राम-राम का जप कर रहे हैं।

इतिहास में पिलुआ महावीर मंदिर की स्थापना

करीब 300 साल पहले प्रतापनेर के चौहान राजा हुक्म चंद्र प्रताप सिंह के शासनकाल में इस मंदिर का निर्माण हुआ। राजा को एक सपने में हनुमान जी ने दर्शन दिए और मूर्ति के स्थान के बारे में बताया। राजा ने मूर्ति को महल में लाने की कोशिश की, परंतु मूर्ति हिली नहीं। अंततः राजा ने विधिवत पूजा-अर्चना कर इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया। तब से यह मंदिर हनुमान भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

भक्तों की मुरादें पूरी करने वाला मंदिर

यहां मंगलवार को भक्तों का सैलाब उमड़ता है। बीहड़ों के बीच स्थित यह मंदिर भले ही निर्जन हो, लेकिन हर श्रद्धालु अपनी मुराद लेकर यहां आता है और खाली हाथ नहीं लौटता। भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई हर मन्नत बजरंगबली पूरी करते हैं। मंदिर की यह विशेषता इसे क्षेत्र का एक अनूठा आध्यात्मिक केंद्र बनाती है।

इतिहासकार की राय

इटावा के के.के. कॉलेज के इतिहास विभाग प्रमुख डॉ. शैलेंद्र शर्मा कहते हैं कि इस मंदिर की मूर्ति में जो रहस्यमय घटनाएं और चमत्कार दिखते हैं, वे वैज्ञानिक दृष्टि से भी रोचक हैं। मूर्ति के मुखार बिंदु से प्रसाद के गायब होने का कारण आज तक किसी ने पता नहीं लगाया है। ऐसे चमत्कारों को समझना मुश्किल है, लेकिन यह मंदिर भक्तों के विश्वास का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

महंत धर्मेंद्र दास का बयान

हनुमान मंदिर के महंत धर्मेंद्र दास के अनुसार, यह मूर्ति देश और दुनिया में अपनी विशिष्टता रखती है। मूर्ति का मुख हर वक्त पानी से भरा रहता है और जितना प्रसाद उसमें डाला जाता है, वह पूरी तरह अंदर समा जाता है। यह मूर्ति सांस भी लेती है और भक्तों के प्रसाद भी ग्रहण करती है। उनका मानना है कि यहां हनुमान जी स्वयं जीवित स्वरूप में विराजमान हैं।

डाकुओं के प्रभाव वाले क्षेत्र में हनुमान जी का संरक्षण

इस क्षेत्र में कुख्यात डाकुओं का प्रभाव रहा है, लेकिन इस मंदिर के संरक्षण और चमत्कारों के कारण आज तक किसी भी भक्त के साथ कोई अनहोनी नहीं हुई। डाकुओं ने इस पवित्र स्थल पर वारदात करने की हिम्मत भी नहीं जुटाई। यह भी माना जाता है कि हनुमान जी के अद्भुत चमत्कार ही इस मंदिर और उसके भक्तों की रक्षा करते हैं।

पिलुआ महावीर मंदिर के अद्भुत चमत्कार और हनुमान जी की जीवित प्रतिमा न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि दूर-दूर से आने वाले भक्तों के लिए विश्वास और आश्चर्य का स्रोत हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा और रहस्यमय शक्ति का प्रतीक बन चुका है, जो लोगों को अपनी आस्था के साथ जोड़ता रहता है। यहां आने वाले हर भक्त के मन से दुख-दर्द दूर होते हैं और वे अपने जीवन में सुख-समृद्धि की कामना लेकर लौटते हैं।