×

मां कामाख्या मंदिर का रहस्य! साल में 3 दिन क्यों बंद रहते हैं कपाट, जानें इसके पीछे की पौराणिक मान्यता

 

भारत मंदिरों का देश है जहाँ कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका अपना गौरवशाली इतिहास है। ये मंदिर प्राचीन होने के साथ-साथ चमत्कारी और रहस्य से भरे हुए हैं। इन मंदिरों की महिमा बेहद अनोखी है, लेकिन इनके रहस्यों से आज तक कोई पर्दा नहीं उठा पाया है। ऐसा ही एक रहस्यमयी मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। इस मंदिर को लोग कामाख्या देवी के नाम से जानते हैं। यह मंदिर देवी के 51 शक्तिपीठों में शामिल है।

मान्यताओं के अनुसार

कामाख्या देवी मंदिर में लोगों की गहरी आस्था है। मान्यताओं के अनुसार, जो कोई भी इस मंदिर में एक बार माँ कामाख्या के दर्शन करता है, उसके सभी पाप धुल जाते हैं। इस मंदिर को अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ भी कहा जाता है। दूर-दूर से अघोरियाँ और तांत्रिक यहाँ आते हैं। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे, जिन्हें जानकर आप हैरान हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं।

ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है

दरअसल, असम में बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी का पानी तीन दिनों तक लाल हो जाता है। धार्मिक मान्यता है कि माँ कामाख्या तीन दिनों तक रजस्वला रहती हैं। इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का पानी पूरी तरह लाल हो जाता है। इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं। इस समय किसी को भी मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं होती। हालाँकि, तीन दिनों के बाद भक्त बिना किसी बाधा के माँ के दर्शन कर सकते हैं। कामाख्या माता मंदिर में भक्तों को एक विशेष प्रसाद वितरित किया जाता है। माँ के रजस्वला होने के दौरान उनके दरबार में एक सफेद कपड़ा रखा जाता है। तीन दिनों के बाद जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं, तो यह कपड़ा लाल हो चुका होता है। इसे ही प्रसाद के रूप में भक्तों में वितरित किया जाता है।

मंदिर में माँ की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि एक दिव्य कुंड है

कामाख्या देवी मंदिर में माँ की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि यहाँ एक दिव्य कुंड है। यह कुंड हमेशा फूलों से ढका रहता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह कुंड देवी सती की योनि का एक भाग है। कहा जाता है कि इसी कुंड से पानी रिसता है। यह भी माना जाता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में तीन बार दर्शन करता है, उसे सभी सांसारिक प्रलोभनों से मुक्ति मिल जाती है।